तीस जून की मध्यरात्रि से 'एक राष्ट्र, एक कर के रूप में जीएसटी लागू हो चुका है। जीएसटी के लाभ सर्वविदित है। अब एक्साइज ड्यूटी और सेल्स टैक्स को अलग-अलग अदा नहीं करना होगा। एक राज्य से दूसरे राज्य में माल की बिक्री आसान हो जाएगी। अदा किए गए सर्विस टैक्स की क्रेडिट ली जा सकेगी। आम आदमी के द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओं पर जीएसटी की दरें न्यून...
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कृषि को लाभकारी बनाना अपरिहार्य-- विवेक त्रिपाठी
भारत में किसान को अन्नदाता की उपाधि दी गई। पर आज वह निराश नजर आ रहा है। कृषि उपज का वाजिब मूल्य न मिलने से वह परेशान है। किसान को कर्ज लेना पड़ रहा है। वही उसके लिए जानलेवा साबित होता जा रहा है। किसानों की आत्महत्याओं में दिन-प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। भारत में किसान आत्महत्या 1990 के बाद पैदा हुई स्थिति है, जिसमें प्रतिवर्ष दस हजार से...
More »मेडिकल में खुलासा : एक साल में 208 प्रसूताओं की हो जाती है मौत
पटना :स्वास्थ्य विभाग ने प्रसूताओं की हो रही मौत के कारण का जब पता लगाया, तो सच्चाई सामने आयी. इसमें बताया गया कि जिला अस्पताल और पीएचसी में कई ऐसी प्रसूता आती हैं, जिनकी डिलेवरी से पहले जांच नहीं की जाती है. इसके लिए आशा को जिम्मेवार माना गया है. आशा प्रोत्साहन राशि के लिये गर्भवतियों का रजिस्ट्रेशन तो करा रही हैं, लेकिन जांच या...
More »बैंकों के विलय पर टिकी उम्मीद-- सतीश सिंह
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय का मन बना लिया है। इसलिए उसने नीति आयोग से इस मसले पर अनुशंसाएं आमंत्रित की हैं और रिजर्व बैंक को भी इस संबंध मेंसुझाव देने के लिए कहा है। वर्तमान में सरकार चार बड़े और छह छोटे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय करना चाहती है। चिह्नित किए गए छह छोटे बैंकों में यूनाइटेड बैंक आॅफ इंडिया, यूको बैंक, यूनियन बैंक...
More »किस हद तक माफ हों कर्ज-- आर. सुकुमार
भारत में इस मानसून की यदि कोई थीम है, तो मेरी राय में वह ‘कर्ज' है। तीन मामले आपके सामने रख रहा हूं। पहला, रिजर्व बैंक अपनी नई ताकतों से परिचय करा रहा है। नई बैंकरप्सी कोड के तहत उसने 12 बड़ी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन कंपनियों पर हमारे बैंकिंग सिस्टम के कुल एनपीए यानी डूबे हुए कर्ज का लगभग एक चौथाई हिस्सा बकाया है। यह रकम...
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