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छह रुपये में मिलेंगे सैनिटरी नैपकीन

पटना : किशोर प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बिहार के 10 जिलों में ग्रामीण इलाकों में सामाजिक विपणन कार्यक्रम के तहत छह रुपये के मूल्य पर महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकीन उपलब्ध कराये जायेंगे. राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार ने आज संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के किशोर प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम (एडोलसेंट रिप्रोडक्टिव एंड सेक्सुअल हेल्थ प्रोग्राम) के तहत राज्य...

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गंगा के गुनहगार- स्वामी आनंदस्वरुप

जनसत्ता 12 जुलाई, 2012: गंगा का नाम लेने मात्र से पवित्रता का बोध होता है। यह देश की एकता और अखंडता का माध्यम और भारत की जीवन रेखा के अतिरिक्त और बहुत कुछ है। गंगा जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी दोनों है। आज भी लगभग तीस करोड़ लोगों की जीविका का माध्यम है। मगर पिछली डेढ़ सदी से गंगा पर हमले पर हमले किए जा रहे हैं और हमें जरा भी अपराध-बोध नहीं...

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ऐसा भविष्य जो हम नहीं चाहते- वंदना शिवा

राजील का शहर रियो डे जेनेरियो यू टर्न के लिए मशहूर है। रियो +20 सम्मेलन ने भी इसी का अनुकरण किया है, जो धरती के जीवन को बचाए रखने की मानवीय जिम्मेदारी से पलटने का सबसे बड़ा उदाहरण था। बीस वर्ष पहले पृथ्वी सम्मेलन में जैव-विविधता के संरक्षण एवं विनाशकारी जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए कानूनी रूप से एक बाध्यकारी समझौते पर दस्तखत किए गए थे। जैव-विविधता पर सम्मेलन और...

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'आईस्क्रीम खरीद सकते हैं, आटे-चावल में एक रुपए की वृद्धि बर्दाश्त नहीं'

गृह मंत्री पी चिदंबरम एक बार फिर विवादित बयान देकर चर्चा में आ गए हैं. उन्होंने कहा है कि ‘भारत के मध्यम वर्ग के लोग महंगी आइस क्रीम खाते हैं, 15 रुपए की मिनरल वॉटर की बोतल खरीदते हैं, पर गेहूं-चावल के दामों में एक रुपए की वृद्धि बर्दाश्त नहीं करते.' चिदंबरम मंगलवार को बंगलौर में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे जब उन्होंने ये बयान दिया. उनके इस बयान...

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निर्मल भारत कैसे बनेगा- ऋषि कुमार सिंह

जनसत्ता 10 जुलाई, 2012: साफ-सफाई के मुद्दे पर भारत सरकार ने निर्मल भारत योजना बनाई है, जिसकी सफलता के लिए फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन को अपना ब्रांड एंबेस्डर नियुक्त किया है। बात बस इतनी-सी है, लेकिन इसका असर और यहां से उपजे संदेश को महज साफ-सफाई की जरूरत तक नहीं समेटा जा सकता। इसे महज बाजार की प्रवृत्ति कह देना भी जल्दबाजी होगी। राजनीति जैसी गतिविधि के हित-अहित पर इसका आकलन...

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