पुलिस की कठोर, उबाऊ और यांत्रिक दैनंदिनी में कई बार आपका साबका मानवीय जीवन के ऐसे कारुणिक पक्ष से पड़ता है कि आप अंदर-बाहर भीग जाते हैं। बरसों तक वे आपकी स्मृति का अंग बने रहते हैं। ऐसा ही एक अनुभव 1989 के इलाहाबाद कुंभ के दौरान मुझे हुआ था। हर 12 साल पर लगने वाले कुंभ के दौरान माघ (जनवरी-फरवरी) महीने में गंगा-यमुना के संगम तट पर एक अद्भुत...
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पढ़ाई का परिदृश्य-- कालू राम शर्मा
हम आज भी मैकाले को खलनायक के रूप में याद करते नहीं थकते हैं। अंगेजों के राज में एक खास प्रकार की शिक्षा-व्यवस्था रची गई थी, जो तब अंग्रेजी राज की जरूरतों के मुताबिक थी। आजादी पाने के पहले ही गांधीजी उस शिक्षा-व्यवस्था से न केवल व्यथित थे, बल्कि उनमें एक आक्रोश था और इसका उन्होेंने हल भी खोजा कि शिक्षा ऐसी हो जो देश की सामाजिक स्थिति और यहां...
More »नागरिक बनाम मतदाता नागरिक-- अश्विनी भटनागर
अभी हाल में उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों के बारे में अलग-अलग शहरों और कस्बों के मतदाताओं से बातचीत की थी कि वे अपना वोट किस आधार पर डालेंगे। लगभग सभी मतदाताओं ने कहा था कि वे अपनी पसंदीदा पार्टी को वोट देंगे, किसी व्यक्ति को नहीं और उनका मत उसी पार्टी को जाएगा, जिससे उनको निजी लाभ मिलने की सबसे ज्यादा संभावना है। बातचीत के दौरन यह...
More »दुष्कर्म के दोषियों को फांसी दिलाने वाला विधेयक मप्र विधानसभा में पास
भोपाल। विधानसभा ने सोमवार को दंड विधि (मप्र संशोधन) विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी। इस पर सदन में चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जिनमें मानवता हो, मानव अधिकार उनके लिए होते हैं। ऐसे पिशाच, नरपिशाच, राक्षसों के लिए मानव अधिकार नहीं होते। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराध मानवता के लिए कलंक के समान होते हैं। उन्होंने विपक्ष के साथियों से विधेयक पारित करने में...
More »दुनिया से जुड़ने का हमारा अधिकार -- हरजिंदर
मान लीजिए, आपकी तबीयत खराब है और आप डॉक्टर के पास जाने के लिए टैक्सी बुलाते हैं। टैक्सी वाला बताता है कि अगर आप फलां डॉक्टर के पास जाते हैं, तो आपको टैक्सी का इतना किराया देना पड़ेगा और अगर दूसरे के पास जाते हैं, तो किराया कुछ ज्यादा लगेगा। उसकी लिस्ट में एक ऐसे डॉक्टर का नाम भी है, जिसके पास अगर आप जाएं, तो वह आपको मुफ्त...
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