SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1757

जेएनयू हिंसा: नए-नए दुश्मन की तलाश में सर्वनाशी सियासत

जेएनयू में हुई विस्मयकारी हिंसा से आपको यह आसान बात समझा आ जानी चाहिए कि भारत एक ऐसी सत्ता द्वारा शासित हो रहा है जिसके होने का एकमात्र कारण विरोध का ज़रिया ढूंढ़ना और उसे क्रूरता से कुचलना है. कायर ठगों का भारत के सबसे प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक में इस तरह घूमना, शिक्षकों और विद्यार्थियों का सर फोड़ देना, जेएनयू प्रशासन द्वारा मामूली हाथापाई बताकर दरकिनार करने वाली...

More »

हिंदू राष्ट्रवाद को चुनौती देना चाहते हैं ये दलित ब्रैंड्स

दक्षिण मुंबई में एक महंगे रीटेल स्टोर में जिस समय शहर के संपन्न लोग दलित उद्धार और 'बहिष्कृत लोगों' व फ़ैशन की दुनिया के मेल पर बात कर रहे थे, 32 साल के सचिन भीमा सखारे बाहर एक कोने में खड़े थे. ये सब हो रहा था बीते पाँच दिसंबर को. सचिन भीमा सखारे बताते हैं कि स्टोर में हुए इवेंट में 'चमार फ़ाउंडेशन' के सदस्यों द्वारा बनाए गए रबर के...

More »

कोटा में 100 बच्चों की मौत के लिए कौन दोषी है?

"मैं अपने बच्चे के निमोनिया का इलाज कराने के लिए यहां से 50 किलोमीटर दूर से आया हूं. इतनी सर्दी थी रास्ते में. बच्चे की सांस तेज़ चल रही थी. बच्चे की हालत देखकर ही डर लग रहा था..." ये शब्द मोहन मेघवाल के हैं जो अपने बच्चे का इलाज कराने के लिए राजस्थान में कोटा के जेके लोन अस्पताल आए थे. ये वही अस्पताल है, जहां बीते 30 दिनों में...

More »

आप्रवासियों और शरणार्थियों की संख्या को लेकर फैलाए गए भ्रमों और तथ्यहीन कुतर्कों को खारिज करते आंकड़ें

विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्रोतों के आंकड़ें आप्रवासियों और शरणार्थियों की संख्या को लेकर फैलाए गए भ्रमों और तथ्यहीन कुतर्कों को खारिज करते हैं.   अनेकों मीडिया रिपोर्टें यह खुलासा करती हैं कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRIC), जिसे देशभर में लागू किए जाने की उम्मीद है, के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में डिटेनशन सेंटर बनाए जा रहे हैं. हालांकि मीडिया के सामने सरकार एनआरसी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के बीच किसी भी प्रकार के संबंध से इनकार कर रही है,...

More »

क्या सिर्फ़ साल बदलने से गड्ढे से बाहर आ जाएगी अर्थव्यवस्था?

दोनों ने किया इक़रार मगर मुझे याद रहा तू भूल गई... अब आप इसे जनता की तरफ़ से सरकार के लिए गा लीजिए या शेयर बाज़ार की तरफ़ से इकॉनमी के लिए। ख़ास फर्क नहीं पड़ेगा।  2019 की कहानी कुछ ऐसी ही कहानी रही। लोगों ने बड़े अरमानों से मोदी सरकार को दोबारा कुर्सी तक पहुँचाया। उन्हें भी और जिन्होंने इस सरकार को वोट नहीं दिया उन्हें भी उम्मीद यही थी कि...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close