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किसान संसद: अब देश चलाना चाहती हैं महिला किसान

-न्यूजक्लिक, खेतों में भी हम कमाते हैं, देश को भी हम चलाएंगे,..घरों को भी हम चलाते हैं, देश को भी हम चलाएंगे, महिला शक्ति आई है, नई रोशनी लाई है... और यह नारे लगाते हुए महिला किसानों का जत्था अपनी अनोखी और ऐतिहासिक संसद सजाने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंच गया। देश की संसद के समानांतर, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्षरत किसानों ने किसान संसद का आह्वान किया और...

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आवरण कथा/बैंकिंग व्यवस्था/भगोड़ों की मौज, भंवर में फंसे बैंक

-आउटलुक, “एनपीए बढ़ा, बैंकों को गहराते संकट से उबारने के उपाय ऊंट के मुंह में जीरे के सामान, गलतियों से सबक सीखने के प्रति लापरवाही, दिवालिया संहिता से सवालिया घेरे में बैंक, याराना पूंजीवाद और भगोड़ों पर कोई खास अंकुश नहीं” अजब जलवा है भगोड़ों का। 23 मई की रात अचानक खबर आई कि देश के बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाने वाले मोस्ट वांटेड भगोड़ों में से एक, मेहुल चोकसी...

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ब्रेन फ़ॉग क्या है? मेनोपॉज़ से पहले महिलाओं को क्यों होती है याददाश्त से जुड़ी परेशानियां?

-बीबीसी,  करियर के शुरुआती दिनों में न्यूयॉर्क के लेनॉक्स हिल अस्पताल की न्यूरोलॉजिस्ट गायत्री देवी और उनकी सहयोगियों ने एक ग़लती कर दी. उन्होंने मेनोप़ॉज़ से ग़ुज़र रही एक महिला को अलज़ाइमर का मरीज़ समझ लिया. कई दौर के उपचार के बाद महिला के स्वास्थ्य में सुधार हुआ और डॉक्टर गायत्री ने महसूस किया कि इसके शुरुआती लक्षण- भूल जाना और ध्यान भटकना हैं. इन लक्षणों के पीछे दूसरे कारण थे. मरीज़ के...

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शेयर बाजार एक आईना है- 40 सालों में कितना बदला भारतीय बिजनेस और इसमें क्या कमी है

-द प्रिंट, चालीस साल पहले सबसे बड़े 30 व्यावसायिक ‘घरानों’ की जो कंपनियां शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध थीं उनका कुल मूल्य 6,200 करोड़ रुपये था. उस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इससे 28 गुना बड़ा (1.75 लाख करोड़ रु. के बराबर) था. ज़्यादातर कंपनियां जूट, चाय, सीमेंट, चीनी, इस्पात के उत्पाद और कपड़े जैसे ‘प्राथमिक’ उत्पादों का उत्पादन करती थीं. उसके बाद से नाटकीय बदलाव हुए हैं. आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज...

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एक मां की आवाज : 'मुझे देवांगना पर गर्व है, भारत को नताशा, गुलफिशा और सफूरा जैसी बेटियों की ज्यादा जरूरत'

-आउटलुक, देवांगना की मां डॉ कल्पना डेका कलिता आउटलुक  की आस्था सव्यसाची के साथ बातचीत में कहती हैं कि उनकी बेटी की एक्टिविज़्म उनके लिए क्या मायने रखती है। उसकी कैद उन सभी मां के लिए एक संदेश है जिनके बच्चों को गलत तरीके से सलाखों के पीछे डाल दिया गया है। देवांगना ने राजनीतिक एक्टिविज़्म में कब कदम रखा? अपने स्कूल के दिनों में भी, वह न्याय और अन्याय के बीच के अंतर के बारे में बहुत जागरूक...

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