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“एक बेहतर दुनिया की ओर”: मेधा पाटकर ने शुरू किया ग्रेटा थुनबर्ग से प्रेरित युवाओं का नया अभियान

-न्यूजलॉन्ड्री, ग्रेटा थुनबर्ग से प्रेरित हो कर अनेक युवाओं ने एक नया अभियान आरंभ किया- ‘एक बेहतर दुनिया की ओर’. प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने इस अभियान को जारी करते हुए देश-विदेश के युवाओं को याद दिलाया कि महात्मा गाँधी ने कहा था कि प्रकृति में इतने संसाधन तो हैं कि हर एक की ज़रूरतें पूरी हो सकें परन्तु इतने नहीं कि एक का भी लालच पूरा हो सके. सबके...

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कोरोना वायरस का डर, इम्युनिटी बना कमाई का नया फंडा

-आउटलुक, हल्दी वाला दूध, जड़ी बूटी से बना ब्रेड, रेस्टोरेंट मेन्यू में स्पेशल डिश, तो बीमारी से लड़ने वाले एनर्जी ड्रिंक, ये कोविड-19 दौर की नई मार्केटिंग स्ट्रेटेजी है। कंपनियों ने महामारी के संकट में बिक्री बढ़ाने का “इम्युनिटी” मंत्र अपना लिया है। यह मंत्र उन्हें आपके दिलो-दिमाग पर कोविड-19 के छाए डर से मिला है। यह डर इतना हावी है कि अकेले गूगल पर इम्युनिटी शब्द की सर्चिंग 500 फीसदी...

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बुंदेलखंड: पलायन की इनसाइड स्टोरी, ललितपुर में खदानें बंद होने से 50 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार

-गांव कनेक्शन,  ललितपुर जिले के मादौंन गांव की रैना सहारिया (40 वर्ष) उन हजारों प्रवासियों में से एक हैं, जो किसी तरह जद्दोजहद कर घर वापस तो आ गईं लेकिन खुश नहीं हैं। वो पहली बार कमाने के लिए अपने दो लड़कों के साथ घर से बाहर निकली थीं और लॉकडाउन की मुसीबत आ गई। रैना को चिंता कोरोना की नहीं, अपना घर चलाने की हैं, क्योंकि जहां उनका घर है...

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 बैगा आदिवासियों की बेंवर खेती - बाबा मायाराम

मध्यप्रदेश के मंडला जिले में बैगा आदिवासी बेंवर विधि से खेती करते हैं। इसी विधि से ही छत्तीसगढ़ में बैगा व पहाड़ी कोरवा आदिवासी खेती करते हैं। पिछले कुछ समय से इसमें कमी आई है, पर अभी भी यह काफी प्रचलित है।  बेंवर विधि से खेती बिना जुताई की जाती है, जिसके लिए पहले ग्रीष्म ऋतु में पेड़ों की छोटी-छोटी टहनियों, पत्ते, घास और छोटी झाड़ियों को एकत्र कर उनमें आग...

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वैश्विक आर्थिक सुस्ती का कितना असर हुआ है देश के आयात-निर्यात पर, पढ़िए इस एलर्ट में..

घरेलू स्तर पर मांग में आयी कमी नहीं बल्कि अपने देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर व्याप्त आर्थिक सुस्ती की चपेट में है- क्या ऐसा कहना उचित है? अगर ये बात ठीक है तो फिर व्यापार से संबंधित आंकड़ों में इसकी झलक मिलनी चाहिए. ऐसी स्थिति में हमारे निर्यात में इजाफा और आयात में कमी परिलक्षित होनी चाहिए. लेकिन आंकड़ों से ऐसा नहीं झलकता- आंकड़ों से एक मिली-जुली तस्वीर झांकती...

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