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नागरिक को अर्द्ध नागरिक में बदलता समय

-लोकवाणी, लॉकडाऊन के सवा दो माह गुजरने के बाद जब कोई सवाल ये पूछे तो कि देश ने क्या खोया-क्या पाया तो एक खस्ताहाल आम नागरिक का और क्या जवाब होगा भला सिवाय मी’र के इस शे’र के कि ‘उलटी हो गई सब तदबीरें कुछ ना दवा ने काम किया—देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आखिर काम तमाम किया’ ? लॉकडाऊन के बीते दिनों के बारे में बस इतना भर कहा जा सकता...

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“महामारी को सरकार ने महात्रासदी में बदला”

-आउटलुक, पहले चंद्रशेखर सरकार और फिर अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री और फिर विदेश मंत्री जैसा अहम जिम्मा संभाल चुके 83 वर्षीय यशवंत सिन्हा 2014 के बाद से ही दलगत राजनीति से बाहर हैं लेकिन बतौर सार्वजनिक शख्सियत वे आज भी सक्रिय हैं। हाल में लॉकडाउन के दौरान गरीब और प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के खिलाफ उन्होंने राजघाट पर लगभग 11 घंटे का धरना और गिरफ्तारी दी। उनकी मांग है कि मजदूरों...

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भारत की विकास दर के अनुमानों पर आरबीआई के बदलते बोल

-द कारवां,  22 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत की आर्थिक स्थिति को "घेरती निराशा" के रूप में वर्णित किया. कोविड-19 से पहले भारत की सकल घरेलू उत्पाद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "सभी अनिश्चितताओं को देखते हुए 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि नकारात्मक रहने का अनुमान है, 2020-21 की एच 2 (दूसरी छमाही) से आगे कुछ गति पकड़ने...

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इंटरव्यू / सरकार को लॉकडाउन से पहले प्रवासी मजदूरों को घर भेजना चाहिए था, रिवर्स माइग्रेशन से अब वे देर से लौटेंगे, लेकिन लौटेंगे जरूर: प्रो. चिन्मय तुंबे

-भास्कर, दुनियाभर में माइग्रेशन के लिए चर्चित किताब ‘इंडिया मूविंग: अ हिस्ट्री ऑफ माइग्रेशन’ के लेखक और आईआईएम अहमदाबाद में प्रोफेसर चिन्मय तुंबे से इस वक्त कई राज्य सरकारें माइग्रेंट्स को लेकर पॉलिसी मेकिंग में एडवोकेसी-कंस्लटेंसी ले रही हैं। तुंबे का मानना है कि कोविड-19 के चलते बेशक दुनियाभर में लॉकडाउन हुआ, लेकिन पूरी दुनिया में माइग्रेंट्स के साथ ऐसा बुरा कहीं नहीं हुआ, जैसा भारत में हुआ। माइग्रेशन के विभिन्न पहलुओं...

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भारत में आई एक ही आपदा ने PM, CM, DM जैसे तीन बड़े शक्तिशाली लोगों की पोल खोल दी है

-द प्रिंट,  एक प्रमुख एवं जाने-माने सरकारी अधिकारी ने भारतीय शासन व्यवस्था के बारे में एक शानदार बात कही थी, कि यह तीन इंजनों से चलती है— पीएम, सीएम, और डीएम. यानी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और जिला मजिस्ट्रेट. इस सटीक टिप्पणी के लिए मैं उन्हें जितना श्रेय दूंगा, उससे ज्यादा अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहूंगा. और यही चाहूंगा कि आगे मैं जो तर्क पेश करने जा रहा हूं उसका दोष उनके...

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