द थर्ड पोल, 10 अगस्त उत्तर भारतीय राज्य, उत्तराखंड में, 3,500 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर केदारनाथ घाटी स्थित है। यह घाटी 2013 में एक भयानक बाढ़ आपदा झेल चुकी है। हालांकि तब से, यहां काफी कुछ बदल चुका है। यहां एक पुनर्निर्माण परियोजना पर काम चल रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य केदारनाथ के पुनर्निर्माण के साथ-साथ इस स्थान को आकर्षक और सुविधाजनक बनाने का है। यहां प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर...
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खराब अपशिष्ट प्रबंधन की कीमत चुकाता नीलगिरी जिले का एक पहाड़ी शहर
मोंगाबे हिंदी, 28 जुलाई 38 साल की जयासुधा इसे अपना सौभाग्य मानती हैं कि 11 दिसंबर, 2020 की रात वह घर पर नहीं थीं। उस रात तमिल नाडू के नीलगिरी जिले के कोटागिरी शहर की एक आवासीय कॉलोनी, इंदिरा नगर में दो शावकों के साथ एक भालू उनके घर में घुस आया और वहां से कुछ खाने का समान लेकर चला गए। उन्होने बताया, “मैं और मेरी बेटियां एक सप्ताह तक...
More »हिमाचल प्रदेश में विनाश के लिए कितनी जिम्मेवार हैं विकास परियोजनाएं?
डाउन टू अर्थ, 13 जुलाई विकास के नाम पर पर्यावरण और पारिथितिकी के साथ किए जा रहे खिलवाड़ का नतीजा पिछले तीन दिनों में हिमाचल में देखने को मिला है। पिछले तीन दिनों में हिमाचल में 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपति को नुकसान पहुंचा है। यदि मॉनसून सीजन की बात करें तो 16 दिनों में हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं में 72 से अधिक जानें चली गई हैं। लेकिन...
More »जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढलने के लिए संघर्ष कर रहे हैं उत्तराखंड में सीमांत किसान
द थर्ड पोल, 5 जुलाई उत्तराखंड के धुधोली गांव में नीमा देवी, अपनी भाभी प्रेमा देवी के साथ बैठकर हाथ से गेहूं की मड़ाई कर रही हैं। कटाई का मौसम खत्म हो गया है। दरअसल, अपने पड़ोसी के आंगन में, हाथ से गेहूं की मड़ाई करने से इन दोनों को अपने मवेशियों के लिए चारा मिल जाता है। नीमा देवी का कहना है कि उनके पास इतनी ज़मीन भी नहीं है कि...
More »बदलती जलवायु की वजह से खतरे में हिमालय की करिश्माई जलपक्षी आइबिस बिल की आबादी
मोंगाबे हिंदी, 23 जून समुद्रतल से बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में एक ऐसी पक्षी का घर है जिन्हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकता। ये घर चट्टानों के गोल पत्थरों के बीच छिपे होते हैं। यह पक्षी सदियों से प्रकृति प्रेमी और पक्षी विशेषज्ञों को आकर्षित करते आया है। इसे हम आइबिस बिल (Ibidorhyncha struthersii) के नाम से पहचानते हैं, जो अपनी करिश्माई प्रकृति और दुर्लभता के कारण ‘हिमालय के आश्चर्यजनक...
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