-द कारवां, आदित्य बिरला समूह और वेदांता लिमिटेड भारत में उन पहले कारपोरेट दाताओं में से थे जिन्होंने कोविड-19 महामारी राहत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बनाए गए और उन्हीं के द्वारा संचालित पीएम केयर्स फंड में भारी भरकम राशि दान दी थी. यह फंड मार्च 2020 में बनाया गया था और इसके बनने के पहले सप्ताह के भीतर ही आदित्य बिरला समूह ने 400 करोड़ रुपए तथा वेदांता ने...
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स्वास्थ्य की ‘जड़ें’ : हल्दी से तीन गुणा अधिक कमा रहा है यह किसान
-डाउन टू अर्थ, भारतीयों ने हल्दी की एंटीवायरल खूबियों के चलते वर्ष 2020 में इसका खासा सेवन किया, इसकी कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के दौरान इसे फायदेमंद बताया जा रहा था। खाना पकाने में इस्तेमाल के अलावा, लोगों ने काढ़े के रूप में इसका जमकर सेवन किया। लॉकडाउन के दौरान बाजार में शुद्ध शाकाहारी हल्दी के लैटेस से लेकर चिया टरमरिक कुकीज और डिटॉक्स चाय जैसे कई उत्पाद बढ़ गए हैं। हालांकि, हल्दी...
More »"अब शहादत की बारी मेरी है," लखीमपुर के मृतक किसान लवप्रीत सिंह के पिता
-कारवां, 5 अक्टूबर की सुबह उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के चौकरा फार्म इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच एक घर के बाहर सैकड़ों की संख्या में लोग जमा हैं. दो दिन पहले लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में जान गंवान वाले सबसे कम उम्र के 20 वर्षीय लवप्रीत सिंह के दाह संस्कार के लिए यह भीड़ जमा हुई है. तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया के पास...
More »मुस्लिम-विरोध और हिंसा: वीएचपी की 10 पत्रिकाओं का लेखाजोखा
-न्यूजलॉन्ड्री, किताबें, अखबार और पत्रिकाएं जहरीली विचारधारा प्रसारित करने का सबसे महत्वपूर्ण हथियार है. सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने एक बार कहा था, "किताबें अन्य सभी प्रचार माध्यमों से मुख्य रूप से भिन्न होती हैं क्योंकि एक पुस्तक किसी भी अन्य माध्यम से ज्यादा, पाठक के दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकती है." लगभग 1870 से 1918 तक भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रारंभिक चरण में राजनीतिक प्रचार और शिक्षा, राष्ट्रवादी विचारधारा...
More »हिंदी में रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के लिए फ़ेलोशिप
पत्रकार की ज़िम्मेदारी है कि वह समाज में हो रहे बदलावों और उथल-पुथल पर बारीक नज़र रखें. घटनाओं की रिपोर्टिंग करने के साथ-साथ उसकी तह तक पहुंचे. तहकीक़ात करें. जनता के मुद्दों और समावेशी लोकतंत्र के ज़रूरी विषयों को टटोलें. नागरिक अधिकार, मानवाधिकार और मौलिक अधिकार जैसे सवालों पर चौकस रहे. सरकार की नाकामियों को शिद्दत के साथ उजागर करें. सवाल करें. स्वास्थ्य, खेती-किसानी और राजनीति से लेकर पर्यावरण के...
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