SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 536

जलवायु हॉटस्पॉट : समुद्री अतिक्रमण और तटों का कटाव गंजम के गांवों को गायब कर रहा है

इंडियास्पेंड, 16 जून ई. कमामा अपने पति और दो बच्चों के साथ सो रही थीं, जब अक्टूबर 2019 की एक रात लगभग 2.30 बजे एक तेज लहर उनके घर के सामने की दीवार और दरवाजे को बहा ले गई। कमामा और उनके पति ने करीब सात साल पहले ओडिशा के गंजम जिले के चिकिती ब्लॉक के राम्यापट्टनम गांव में एक छोटा सा घर बनाया था। उन्होंने इसके लिए बड़ी मेहनत से 5...

More »

साल 2022 में दुनियाभर में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची

द वायर, 15 मई एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, 2022 के अंत तक दुनियाभर में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (इंटरनली डिस्प्लेस्ड पीपल- आईडीपी) की संख्या 71.1 मिलियन (7 करोड़ से अधिक) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई, जो 2021 की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है. आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (Internal Displacement Monitoring Centre- आईएमडीसी) और नॉर्वेन रिफ्यूजी काउंसिल (एनआरसी) की 76 पृष्ठीय रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-राजनीतिक संकट,...

More »

मानसून सीजन की शुरूआत में ही अल-नीनो की बढ़ी संभावना, बारिश घटने की आशंका

रूरल वॉयस, 15 अप्रैल तीन दिन पहले 11 अप्रैल को भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा इस साल सामान्य मानसून का जो अनुमान जारी किया गया था, उसके गड़बड़ाने की आशंका बढ़ गई है। इसकी वजह मई से जुलाई के बीच अल-नीनो की संभावना बढ़कर 62 फीसदी होना है। अल-नीनो का भारत में मानसून की बारिश पर प्रतिकूल असर पड़ता है। वहीं जून-जुलाई-अगस्त में अल-नीनो की संभावना 75 फीसदी और जुलाई-सितंबर...

More »

ये 'अल–नीनो' क्या बला है?

एक अनुमान की माने तो वर्ष 2023 अल–नीनो की आगोश में आ जाएगा।अल–नीनो का संयोग भारत के लिए अशुभ माना जाता है।क्योंकि अल–नीनो के कारण कई बार बारिश की मात्रा में गिरावट आ जाती है; हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों की उम्मीदों पर अल–नीनो तुषारापात करता है। ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि अल–नीनो नाम की बला है क्या? आज का लेख उसी के नाम! अल–नीनो का प्रभाव मानसून और महासागर की...

More »

क्या महंगा पड़ सकता है ईंधन के लिए गन्ने का उपयोग?

द थर्ड पोल, 14 फरवरी उत्तर प्रदेश में मेरठ के बाहरी इलाके में पिछले कुछ महीनों से बड़ी-बड़ी चिमनियां लगातार धुंआ उगल रही हैं। अक्टूबर से अप्रैल गन्ना-पेराई का मौसम होता है। गन्ने की मदद से भी इथेनॉल बनता है। इस दौरान यहां की चीनी मिलें चालू रहती हैं। बिजली पैदा करने के लिए गीले पौधों के कचरे को जलाया जाता है, जिससे धुआं पैदा होता है, जो वातावरण में मंडराता...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close