-गांव सवेरा, • ‘उर्वरक सब्सिडी’ पर खर्च साल 2021-22 (R.E) में 1,40,122 करोड़ रुपए से घटाकर 2022-23 (B.E.) में 1,05,222 करोड़ रुपए कर दिया गया है. उर्वरक सब्सिडी पर बजटीय आवंटन साल 2021-22 (B.E.) में 79,530 करोड़ रुपए था. 2021-22 में उर्वरक सब्सिडी पर खर्च के बजट अनुमान और संसोधित अनुमान के बीच बड़ा अंतर उर्वरकों की कीमत और इनपुट लागत में वृद्धि के कारण हुआ है. • कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में उर्वरक सब्सिडी 2021-22 (B.E.) में 2.28 प्रतिशत थी, जो 2022-23 (B.E.) में मामूली रूप से बढ़कर 2.67 प्रतिशत...
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बजट 2022-23: कैसा होना चाहिए महामारी के दौर में स्वास्थ्य बजट
-न्यूजक्लिक, विगत दो वर्षों से दुनिया महामारी का दंश झेल रही है। भारत एक बड़ी आबादी वाला देश होने के कारण इस कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से चौतरफा संकटों से घिरा हुआ है। देश में सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक संकटों ने यहां के नागरिकों को भविष्य के प्रति आशंकित कर रखा है। अभी भी महामारी का खतरा गया नहीं है और स्वस्थ्य की कई चुनौतियां लोगों के जीवन को प्रभावित...
More »सरकारों द्वारा होने वाली आर्थिक हिंसा की तरह है बढ़ती असमानता- ऑक्सफ़ैम रिपोर्ट
-न्यूजक्लिक, ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने सोमवार, 17 जनवरी को असमानता पर अपनी 2022 की रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट में संगठन ने दुनियाभर की सरकारों की असमानता को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ने देने के लिए आलोचना की है। रिपोर्ट कहती है कि सरकारों ने "ऐसी स्थितियां बनने दीं, जिसमें कोविड-19 वायरस, अरबपतियों की संपदा वाले नए वेरिएंट में बदल गया।" रिपोर्ट कहती है कि हर चार सेकेंड में असमानता एक...
More »कर्ज की जंजीर तोड़ने और राजस्व बढ़ाने के लिए मोदी सरकार इस बजट में कर सकती है दो उपाय
-दी प्रिंट, जनवरी का महीना आते ही अगले केंद्रीय बजट के बारे में चर्चाएं शुरू हो जाती हैं. जैसा कि हर मामले में होता है, निरर्थक बातों को परे रखकर काम की बातों पर ध्यान देना ही बेहतर होगा. शुरुआत सरकारी कर्ज से करें, जो महामारी के कारण बड़े घाटे के चलते तेजी से बढ़ गया है. राजस्व की हानि के चलते खर्चों से बचना मुश्किल था, हालांकि वे अपेक्षाकृत रूप...
More »पीएमजेएवाई का सच: “महंगा साबित हो रहा है बीमा-आधारित हमारा मॉडल”
-डाउन टू अर्थ, इस महामारी से उपजे भारी तनाव ने दुनियाभर में स्वास्थ्य प्रणाली की खामियों को उजागर कर दिया है। तमाम देशों ने अपनी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए तमाम तरीके अपनाए हैं। औद्योगीकृत पश्चिमी देश बड़े पैमाने पर संकट से निपटने के लिए उपचारात्मक कदमों पर निर्भर हैं, जिसकी वजह से रोग निवारक सेवा के लिए कुछ खास जगह नहीं बचती। विकासशील देशों में प्राथमिक स्वास्थ्य...
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