कृषि के संदर्भ में राष्ट्रीय नमूना सर्वे संगठन (एनएसएसओ) की हालिया रिपोर्ट साफ तौर पर बताती है कि कृषि न केवल संकट के दौर से गुजर रही है, बल्कि उसका तेजी से क्षरण भी हो रहा है। मैं चकित नहीं हूं। आखिरकार 1996 में ही विश्व बैंक ने भारतीय कृषि के पतन की दिशा बता दी थी। तब विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि अगले बीस वर्षों में भारत...
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समाज और कानून की नजर में समर्पण की कीमत बस इतनी-सी?
जो महिलाएं दफ्तरों में काम करती हैं या बिजनेस संभालती हैं, उनकी सेवाओं की कीमत कमाई के आंकड़े से आंकी जा सकती है, लेकिन एक गृहिणी की सेवाओं और परिवार के प्रति समर्पण भाव की कीमत कैसे आंकी जाए? ऐसे ही एक मामले में चेन्नई के दुर्घटना दावा प्राधिकरण की संकीर्ण सोच सामने आई है। मामला है 31 वर्षीय सेल्वी का, जो कपड़े बेचकर पांच हजार रुपए प्रतिमाह कमाती थीं। एक...
More »पेंशन खातों में धोखाधड़ी
पटना: बुढ़ापे में आर्थिक सहायता के लिए चल रही स्कीम में धोखाधड़ी की बात सामने आ रही है. देश भर में चल रही ‘स्वावलंबन' योजना में इसका खुलासा प्रारंभिक जांच में हुआ है. बिहार के किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया समेत अन्य सीमावर्ती जिलों में इसके कुछ मामले सामने आये हैं. घोटाला कितना बड़ा और किस स्तर का है, इसका आकलन अभी किया जा रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए अब...
More »रोजगारविहीन विकास की कहानी - देविन्दर शर्मा
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के लिए प्राइसवाटर हाउस नामक परामर्शी कंपनी द्वारा तैयार एक ताजा रिपोर्ट में रोजगार निर्माण के लिए आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत की वार्षिक विकास दर नौ फीसदी रहती है, तो देश से बेरोजगारी खत्म करने में 20 वर्ष लगेंगे। यह वास्तव में वही है, जो हमें हाई स्कूल की अर्थशास्त्र की किताबों में पढ़ाया...
More »नरेगा मजदूरों की काली दिवाली- ज्यां द्रेज
कुछ दिन पहले जब दीये और पटाखे की रोशनी से देश जगमगा रहा था तो बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में सैकड़ों नरेगा मजदूर ‘काली दीवाली' मनाने के लिए इक्कट्ठा हुए। उन्हें महीनों से मजदूरी नहीं मिली थी। मजदूरी मिलने के इंजतार में थक-हार कर नरेगा मजदूरों ने तत्काल भुगतान की मांग के साथ एक धरने का आयोजन किया। धरने पर बैठे मजदूर ज्यादा कुछ नहीं मांग रहे थे- उन्हें बस...
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