इस कड़ाके की ठंड में हमें गरमा-गरम कॉफी खूब भाती है। इसके लिए हम किसी रेंस्त्रा या कॉफी हाउस में 200-400 रुपए बड़ी आसानी से खर्च भी कर देते हैं, लेकिन क्या कभी कॉफी पीते समय हमने कॉफी की खेती करने वाले किसानों के बारे में सोचा है ? शायद आपका जवाब ना में ही आये। तो आपको बता दूं कि देश के सबसे बड़े कॉफी उत्पादक प्रदेश कर्नाटक के...
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अरहर किसानों को नहीं मिल रहा समर्थन मूल्य, दालों का आयात 47 फीसदी बढ़ा
आयात सस्ता होने के कारण किसानों को मंडियों में अरहर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 6,00 से 750 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है जबकि चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान दालों का आयात 47.12 फीसदी बढ़कर 22.51 लाख टन हो गया है। दलहन कारोबारी एस चंद्रशेखर नादर ने बताया कि सोमवार को गुलबर्गा मंडी में अरहर 5,050 से 5,200...
More »इन नीतियों से कृषि नहीं उबरेगी
“नीतियों का फोकस बदलें और प्रतिबंधों से मुक्त कर किसान को अपनी बुद्धिमानी से चयन करने दें” कृषि क्षेत्र की नीतियां बनाने में खाद्य सुरक्षा पर फोकस रहा है। यह वाजिब भी है क्योंकि देश में खाद्य वस्तुओं की कमी और आयात पर निर्भरता से निपटने के लिए हरित क्रांति इसी वजह से शुरू की गई। वाजिब कीमत पर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता हमारी नीतियों के केंद्र में रही और बाद...
More »दशक पर एक नजर: कृषि संकट के लिए किया जाएगा याद
2010 में जब भारत ने सदी के दूसरे दशक में प्रवेश किया था, तब उसके सामने 2008 में शुरू हुई वैश्विक आर्थिक मंदी की बड़ी चुनौती थी। लेकिन उपभोग वस्तुओं की मांग लगातार बने रहने के कारण इस मंदी का असर भारत पर नहीं पड़ा। खासकर ग्रामीणों ने इस दौरान अपने खर्च में कमी नहीं की और वे लगातार अपनी जरूरत की चीजें खरीदते रहे, जबकि वे लगभग पूरी तरह...
More »महंगाई वाली मंदी
महंगाई झेलना चाहते हैं या मंदी? अपनी तकलीफ चुन लीजिए. फिलहाल तो दोनों ही बढ़ने वाली हैं. रिजर्व बैंक के अनुसार, अगले तीन माह में जेबतराश महंगाई बढ़ेगी. और इस साल की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.5 फीसद इस ढलान का अंतिम छोर नहीं है. अगले छह माह में मंदी गहराएगी. इस साल पांच फीसद की विकास दर भी नामुमकिन है. बचत, खपत और निवेश में कमी से बनी यह मंदी...
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