हिमालय के पिघलते ग्लेशियर को लेकर अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणवादियों और भारत सरकार के बीच लगातार विवाद बना रहता है।भारत सरकार मानती है कि पर्यावरणवादी हिमालयी ग्लेशियर के पिघलने की बात को बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं।हाल ही में आई एक नई रिपोर्ट से भारत सरकार और पर्यावरणवादियों की बहस पर विराम लगने की संभावना है क्योंकि इस रिपोर्ट में हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने की दर की माप-जोख की गई है।(देखें नीचे दी गई लिंक) हिमालय के ग्लेशियर वैश्विक...
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नागरिक संगठनों का नक्सलविरोधी ऑपरेशन पर सवालिया निशान
नागिरक-संगठनों के एक जांच-दल का कहना है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद से लड़ाई के नाम पर बड़े पैमाने पर निर्दोषों की हत्या, यातना और पुलिसिया बर्बरता को अंजाम दिया जा रहा है। जांच-दल का आरोप है कि जिन इलाकों में सुरक्षा बलों ने सशस्त्र माओवादी लड़ाकों के खिलाफ ऑपरेशन ग्रीनहंट चला रखा है वहां पत्रकारों को सुरक्षा की दुहाई देकर जाने से रोका जा रहा है। सात नागरिक संगठनों के एक...
More »एक जनजाति जिसे दिल्ली ने बिसारा लेकिन लंदन अपनाया....
उड़ीसा के डोंगरिया कोंढ़ जनजाति के हकों की नुमाइन्दगी कर रहे जन संगठनों को जिस फैसले की उम्मीद एक साल पहले भारत के सुप्रीम कोर्ट से थी वह फैसला इस बार ब्रिटिश सरकार ने सुनाया है।ब्रिटेन की सरकार ने अपनी नामचीन कंपनियों (एफटीएसई-१००) में शुमार वेदांत रिसोर्सेज को उड़ीसा के डोंगरिया कोंढ जनजाति के मानवाधिकारों के साथ खिलवाड़ करने पर फटकार लगाई है और कहा है कि कंपनी को अपना...
More »अरावली में बेखौफ निर्माण जारी
फरीदाबाद. सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के बावजूद सूरजकुंड की पहाड़ियों में बेखौफ अवैध निर्माण जारी है। कई जगह तो बड़े स्तर पर निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे निर्माण में न केवल फर्म संचालकलिप्त हैं, बल्कि वन विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। इस तरह हो रहे निर्माण के कारण न केवल पर्यावरण की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग रहा है, बल्कि...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
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