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कोविड-19/तीसरी लहर/डेल्टा प्लस की डरावनी दस्तक

-आउटलुक, “टीकाकरण में तेजी में आ रही दिक्कतों को दूर करने और स्वास्थ्य ढांचे में सुधार पर ही निर्भर है कि नए ज्यादा संक्रामक वेरिएंट का असर कितना होगा” सवाल बहुत हैं लेकिन जवाब मुश्किल। क्या कोरोना की दूसरी लहर खत्म हो गई है? तीसरी लहर कब आएगी? क्या वह भी दूसरी लहर जितनी जानलेवा होगी? डेल्टा प्लस वेरिएंट कितना खतरनाक है? पहले सवाल का जवाब हां और ना दोनों में है।...

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कोविड-19 महामारी में पढ़ाई पर न पड़े असर, सरकारी स्कूल के अध्यापक ने अपनी कार को बनाया 'शिक्षा रथ'

-गांव कनेक्शन, कोविड-19 के चलते स्कूल तो बंद हो गए, लेकिन इससे बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर पड़ेगा? संजय चौहाण से अगर यही सवाल पूछें तो उनका जवाब होगा नहीं, तभी तो वो हर दिन अपनी सफेद मारुति सुजुकी एर्टिगा कार लेकर अपनी मंजिल पर बच्चों को पढ़ाने पहुंच जाते हैं। संजय चौहाण धनपुर तहसील के पिपोदरा गाँव में रहते हैं, और हर दिन 12-15 किलोमीटर ड्राइव करके रूवाबाड़ी गांव...

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आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक क्या है और यह ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों और बाकी को कैसे प्रभावित करेगा

-द प्रिंट, नरेंद्र मोदी सरकार ने एक नया विधेयक पेश किया है जिसमें ‘आवश्यक रक्षा सेवाओं’ में लगे प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने या ऐसी इकाइयों में तालाबंदी रोकने का प्रावधान किया गया है. आवश्यक रक्षा सेवाओं का मतलब ऐसे प्रतिष्ठानों से हैं जो ऐसी वस्तुओं या उपकरणों का निर्माण करते हैं जिनका इस्तेमाल रक्षा क्षेत्र से जुड़ा हो. सरकार के अनुसार, ये ऐसी सेवाएं हैं ‘जिनमें काम बंद होने से रक्षा उपकरणों...

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आवरण कथा/बैंकिंग व्यवस्था/भगोड़ों की मौज, भंवर में फंसे बैंक

-आउटलुक, “एनपीए बढ़ा, बैंकों को गहराते संकट से उबारने के उपाय ऊंट के मुंह में जीरे के सामान, गलतियों से सबक सीखने के प्रति लापरवाही, दिवालिया संहिता से सवालिया घेरे में बैंक, याराना पूंजीवाद और भगोड़ों पर कोई खास अंकुश नहीं” अजब जलवा है भगोड़ों का। 23 मई की रात अचानक खबर आई कि देश के बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाने वाले मोस्ट वांटेड भगोड़ों में से एक, मेहुल चोकसी...

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क्या बैंकों का निजीकरण एक व्यवहार्य विकल्प है?

-जनपथ, वित्तीय वर्ष 2022 के निजीकरण अभियान के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए वित्त मंत्रालय द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों को बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980 से बाहर लाने के लिए विधायी संशोधन संसद के मॉनसून सत्र में लाने की चर्चा है। आईडीबीआई बैंक का निजीकरण भी प्रक्रियाधीन है। गत पचास वर्षों से देश की अर्थव्यवस्था की...

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