कई विद्वानों का मानना है कि भारतवासी भारत में रहकर वैसी कामयाबी हासिल नहीं कर सकते, जो विदेशों में पहुंचते ही उनको नसीब हो जाती है। इस बार न्यूयॉर्क में मुझे इस बात की सच्चाई का गहरा एहसास हुआ। जिस दिन यहां पहुंची एक पारसी दोस्त की बेटी की शादी में कानक्टीकट जाना हुआ और रास्ते में पता चला कि गाड़ी का ड्राइवर देसी था। उसके साथ बातें शुरू हुई, तो पता...
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गांव के लोगों की ही देन है आरटीआइ आंदोलन
आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं है. वे आरटीआइ कानून के अमल में आने के बाद से ही लगातार इस हथियार के जरिये आम जनता के हित में लड़ाई लड़ते रहे हैं. चाहे मामला न्यायपालिका में फैले का भ्रष्टाचार का हो या फिर राजनीतिक दलों को आरटीआइ के दायरे में लाने का उन्होंने यह मुहिम निरंतर जारी रखी है. इतना ही नहीं वे नौजवान पीढ़ी की ओर आरटीआइ...
More »बोल बड़े बिल अटके पड़े- हिमांशु शेखर
कांग्रेस दावा करती है कि उसका हाथ आम आदमी के साथ है. लेकिन उसकी अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने कई ऐसे विधेयक लटका रखे हैं जिनका सीधा संबंध उसी आम आदमी की भलाई से है. हिमांशु शेखर की रिपोर्ट. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की मुख्य पार्टी कांग्रेस के नेता यह दावा करते हुए नहीं अघाते कि उनकी सरकार के लिए आम आदमी का कल्याण सबसे पहले है. लेकिन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली...
More »बंसल की कथनी, सीबीआई की करनी- बृजेश सिंह और राहुल कोटियाल
रेलवे रिश्वत कांड में सीबीआई ने फिर से वही किया जिसके लिए वह हमेशा से मशहूर रही है. बृजेश सिंह और राहुल कोटियाल की पड़ताल. बात है चार मई 2013 की. मीडिया में खबर आई कि सीबीआई ने कुछ लोगों को रेलवे बोर्ड के सदस्य के पद पर नियुक्ति के लिए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है. इनमें तब के रेलमंत्री पवन बंसल का भांजा विजय सिंघला भी शामिल था. चारों...
More »पुलिस सुधार की मरीचिका- सत्येंद्र रंजन
जनसत्ता 12 अगस्त, 2013: सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पुलिस सुधारों का मुद्दा फिर चर्चा में है। सात साल पहले सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस सुधारों के बारे में व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए थे। लेकिन उसका क्या अंजाम हुआ यह इस मामले में न्यायमित्र (एमिकस क्यूरे) की भूमिका निभा रहे महाधिवक्ता जीएम वाहनवती द्वारा न्यायालय को दी गई इस सूचना से जाहिर है कि राज्य सरकारों ने पुलिस सुधारों पर मामूली...
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