अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के 2017 के आंकड़ों के अनुसार भारत में आधिकारिक रूप से 1.8 करोड़ बेरोजगार हैं, जिनमें अधिकांश युवा हैं. श्रम और रोजगार मंत्रालय की बीते साल की रिपोर्ट बताती है कि संगठित क्षेत्र में रोजगार, कुल रोजगार का सिर्फ 10.1 फीसद है, जबकि हमारे 60 करोड़ से अधिक कामगारों को असंगठित क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है, जहां सीमित सामाजिक सुरक्षा मिलती है और न्यूनतम वेतन का...
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आदिवासी बनाएंगे सियासी दल, चुनाव से पहले समाज में हो रहा सर्वे!
मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज एक नए राजनीतिक विकल्प की तलाश में निकल पड़ा है। विधानसभा चुनाव से दस महीने पहले सर्वआदिवासी समाज एक सर्वे कर रहा है, जिसमें यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या आदिवासी, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों को एकजुट होकर गैर कांग्रेसी, गैर भाजपाई राजनीतिक पार्टी बनानी चाहिए। क्या आरक्षित वर्ग को नया राजनीतिक विकल्प तलाशना चाहिए? राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो पिछले तीन...
More »बिहार : आंगनबाड़ी केंद्रों से मिलने वाली पोषाहार की राशि बढ़ी
पटना : राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़े बच्चों और महिलाओं को मिलने वाले रोजाना पोषाहार की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए व्यापक स्तर पर पहल की है. इसके तहत इनके लिए पोषाहार के रुपये में बढ़ोतरी की गयी है. आंगनबाड़ी केंद्रों से चलने वाली सभी योजनाओं से लाभुकों को ज्यादा फायदा देने के लिए इसकी राशि में बढ़ोतरी की...
More »हवा में खड़े होते महल-- अरविन्द कुमार सेन
आज से तकरीबन दो दशक पहले की बात होगी। पूरी दुनिया में इंटरनेट और इस पर आधारित सेवाएं रफ्ता-रफ्ता पैर फैला रहीं थी। डोमेन नाम वाली वेबसाइट (संक्षेप में डॉटकॉम) खड़ी करने का एक अभियान पूरी दुनिया में चल पड़ा था। रातों-रात नए-नए आंतरप्रेन्योर यानी नवउद्यमी पैदा हो गए थे, जिनकी एकमात्र उपलब्धि डॉटकॉम वाली वेबसाइट का मालिकाना हक था। जड़विहीन समृद्धि पैदा करने के इस अभियान को मीडिया ने...
More »बोलने की आजादी बनाम बड़बोलापन-- रमेश दवे
लोकतंत्र सभ्यता, शील और मर्यादा के उत्कर्ष की सत्ता-प्रणाली है। पर कुछ वर्षों में लोकतंत्र के शील का आसन भाषण की अराजकता से गंदा किया गया है। यह सच है कि भारत के सर्वश्रेष्ठ और विश्व के सबसे बड़े संविधान ने अनेक दायित्व, मर्यादाएं, सीमाएं और अभिव्यक्ति की आजादी का नागरिक और नैतिक अधिकार भी दिया है, लेकिन बोलना अगर बड़बोलापन बन जाए, अभिव्यक्ति अगर विकृति बन जाए और संविधान...
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