संसद के मौजूदा(बजट) सत्र में आखिरकार खाद्य सुरक्षा बिल पर चर्चा होने जा रही है। यह बिल यूपीए सरकार ने साल 2011 में लोकसभा में पेश किया था। आहार और बाल-स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम करने वाले विभिन्न संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं और राज्यों द्वारा प्रस्तुत विविध आलोचनाओं के आलोक में इस बिल में कई और बदलाव किए जाने की संभावना है।यहां प्रस्तुत सामग्री में कोशिश की गई है कि भोजन का अधिकार बिल के बारे में जानकारी क्या-क्यों-कैसे-कौन...
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केंद्र सरकार का [अनु] दान खाता
नई दिल्ली [अंशुमान तिवारी]। केंद्र सरकार ने अपने खर्च के नए तरीके से घोटालों को सुविधाजनक कर दिया है। विकास के मदों में सरकार का करीब 79 फीसद खर्च अब अनुदानों के जरिये होता है। अनुदानों के इस्तेमाल को जानने का सरकार के पास कोई भरोसेमंद तरीका नहीं है। इसलिए करदाताओं और कर्ज से मिले इस सरकारी पैसे की लूट सहज हो गई है। केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद के ट्रस्ट में...
More »सर्व ‘दीक्षा’ अभियान!- शिरीष खरे
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध संस्थाओं का मध्य प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान से जुड़ाव तो सवालों के घेरे में है ही लेकिन कोढ़ में खाज की तर्ज पर अब इस सरकारी कवायद में भ्रष्टाचार के संकेत भी मिलने लगे हैं. शिरीष खरे की रिपोर्ट. कुछ महीनों पहले जब मध्य प्रदेश में गीता को अनिवार्य रूप से स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया गया तब यह चौतरफा विवाद का विषय बन...
More »इस असंतोष की जड़ें- पुण्य प्रसून वाजपेयी
जनसत्ता 8 नवंबर, 2012: बेचैनी हर किसी में है। आम आदमी की बेचैनी रोज-रोज की परेशानी से जूझते हुए पैदा हुई है। खास लोगों की बेचैनी सत्ता-सुख गंवाने के डर से उपजी है। विरोध में उठे हाथ गुस्से में हैं। गुस्सा जीने का हक मांग रहा है। सत्ता को यह बर्दाश्त नहीं है तो वह गुस्से में उठे हाथों को चिढ़ाने के लिए और ज्यादा गुस्सा दिलाने पर आमादा है। गुस्सा...
More »गुजरात के विकास का सच
जनसत्ता 6 नवंबर, 2012: अमिताभ बच्चन जब भी रेडियो और टेलीविजन पर एक विज्ञापन ‘खुशबू गुजरात की’ करते हैं तो उनकी दिलकश आवाज और लहजे से एक बार तो मन करता है कि ‘गुजरात-2002’ को भूल कर एक साधारण पर्यटक की तरह गुजरात घूमा जाए। नरेंद्र मोदी ने, विशेषकर 2002 के बाद, मीडिया में अपनी और गुजरात की छवि सुधारने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। दरअसल, 2002 के दंगों के एक वर्ष बाद...
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