बात सितंबर, 1893 की है. उत्तराखंड के चमोली में बहने वाली बिरही नदी में एक पहाड़ गिर गया. बिरही आगे जाकर अलकनंदा में मिलती है जिसके भागीरथी में मेल के बाद बनी धारा को गंगा कहा जाता है. बिरही में पहाड़ गिरने से एक विशाल झील बन गई. ताल के एक छोर पर गौणा गांव था और दूसरे पर दुर्मी तो कोई इसे गौणा ताल कहता और कोई दुर्मी ताल....
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घट रही मिट्टी की उर्वरा शक्ति ।। संजय कुमार सिन्हा ।।
विश्व की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ी है, उस अनुपात में खाद्य उत्पादन नहीं बढ़ा है. जंगलों के कटने और बेहिसाब औद्योगिकीकरण से धरती की जलवायु पर बुरा असर पड़ा है. आइसलैंड में हुए एक सम्मेलन में इन्हीं बिंदुओं पर विचार किया गया. पिछले दिनों (26-29 मई) को आइसलैंड की राजधानी रेईकजाविक में ‘मृदा कार्बन' पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया. यह सम्मेलन कई मायनों में खास था. इसे आयोजित करवाने...
More »पहाड़ के दुख के बीच रैम्बोगीरी
जनसत्ता 4 जुलाई, 2013: जोसेफ हैलर के प्रसिद्ध उपन्यास ‘कैच ट्वेंटी टू' में किसी नकली बीमारी का बहाना बना कर खुद को युद्धक्षेत्र भेजे जाने से मुक्त कर चुका बमवर्षक यूनिट का पादरी पाता है कि आह, भरोसेमंद तरीके से सचमुच का झूठ बोल जाना कितना सहज है! छाती ठोंक कर वह कहता है कि दरअसल निर्ममता को देशप्रेम और परउत्पीड़न को न्याय का पर्याय बताने वाले सफेद झूठों को...
More »24 छात्रों को पढ़ाने के लिए आठ शिक्षक थे फिर भी कोई पास नहीं हुआ
रामगढ़, अलवर/अजमेर। पिपरोली के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में केवल 24 छात्रों को पढ़ाने के लिए आठ शिक्षक थे लेकिन सब मिलकर भी किसी को दसवीं की परीक्षा पास नहीं करवा पाए। यहां दसवीं का परिणाम शून्य रहने पर ग्रामीणों ने सोमवार को शिक्षा सत्र शुरू होने के पहले ही दिन स्कूल गेट पर ताला जड़कर शिक्षकों को घर जाने की नसीहत दे दी। स्कूल में दसवीं कक्षा में पढऩे वाले सभी...
More »जमानत के लिए नहीं थे 5000, बिताने पडे़ 19 साल जेल में
नई दिल्ली। यह भारतीय न्यायिक प्रणाली के लिए बड़ा सवाल है? एक महिला को जेल में उन्नीस साल सिर्फ इसलिये बिताने पड़े, क्योंकि उसके पास जमानत लेने के लिये 5000 रुपये नहीं थे। यह महिला पांच हजार रुपये न होने की वजह से उन्नीस साल जेल में सड़ती रही। जेल में ही उसने अपने बेटे को जन्म दिया, उसी बेटे ने 19 साल बाद पैसे जुटाकर मां की जमानत कराई। आज...
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