राज्य में जैविक खाद की खरीद में गोलमाल का आरोप है। किसानों को गेहूं का ‘बीमार' बीज सप्लाई करने के बाद अब एक नये मामले का खुलासा हुआ है। गेहूं, सरसों, बाजरा, गन्ना और सूरजमुखी के लिए किसानों को दी गई जैविक खाद में फर्जीवाड़ा सामने आया है। करनाल और हिसार सहित कई जिलों में इस खाद के सैम्पल फेल हो गए हैं। खाद सप्लाई करने वाली कंपनी के पते...
More »SEARCH RESULT
खेल से वंचित होते बच्चे-- सुभाष गताडे
दिल्ली के मुंडका इलाके के बच्चे इन दिनों दुखी हैं। दरअसल, इस इलाके में उपलब्ध एक सौ सैंतालीस एकड़ खुली जमीन पर सरकार ने औद्योगिक परिसर बनाने का निर्णय लिया है। इसके इर्दगिर्द कम-से-कम आठ लाख लोग रहते हैं, जिनके बच्चों के खेलने के लिए यही एकमात्र खुली जगह है। जाहिर है कि इससे न केवल प्रदूषण में बढ़ोतरी होगी बल्कि बच्चे खुले में ही खेलने के लिए मजबूर होंगे...
More »अर्थव्यवस्था की कमजोर कड़ी बने सरकारी बैंक
नई दिल्ली। केंद्र सरकार भले ही यह दावा कर रही हो कि भारत अभी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है और आंकड़ों में यह दावा सही भी है। लेकिन सरकारी बैंकों की माली हालत देख कर ऐसा नहीं लगता। जानकारों का कहना है कि सरकारी बैंक देश की अर्थव्यवस्था की सबसे कमजोर कड़ी बन चुके हैं। दिसंबर, 2015 को समाप्त तिमाही में देश के 11 प्रमुख सरकारी बैंक...
More »'आत्महत्या के विरुद्ध' 2016-- रविभूषण
आत्महत्या का संबंध असहिष्णुता, भय, आतंक और असुरक्षा आदि से उत्पन्न उस अकेलेपन से है, जिसका एक सामाजिक संदर्भ है. आत्महत्या अपने व्यापक अर्थ में हत्या है. आत्महत्या को मनोविज्ञान से जोड़ कर अधिक देखा जाता रहा है, जबकि इसका एक समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य है. रघुवीर सहाय ने अपनी सुप्रसिद्ध कविता 'आत्महत्या के विरुद्ध' (मई 1967 की 'कल्पना' में प्रकाशित) में 'जनता की छाती' पर चढ़े 'मंत्री मुसद्दीलाल' का एक चित्र...
More »रघुराम राजन की टिप्पणी के बाद जीडीपी पर कोहराम
किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का निर्धारण एक जटिल अर्थशास्त्रीय प्रक्रिया होती है. इसमें अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के उपलब्ध आंकड़ों, मुद्रास्फीति तथा आधार वर्ष के आंकड़ों के समायोजन से कुल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तय किये जाते हैं. पिछले साल भारत सरकार ने जीडीपी के आकलन की प्रक्रिया में बड़ा फेरबदल किया, जिसे लेकर उद्योग जगत, अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्धारकों में चर्चा चल रही है....
More »