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गांधी मैदान से हुंकार भर रहे अन्ना, रैली की शुरुआत

पटना: पांच जून, 1974 और फिर चार नवंबर,1974 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने गांधी मैदान से क्रमश: संपूर्ण क्रांति और व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया था. उसी गांधी मैदान से बुधवार (30 जनवरी) को समाजसेवी अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का एलान करेंगे. जनतंत्र रैली को लेकर गांधी मैदान सज-धज कर तैयार है. लोगों में अन्ना हजारे को देखने-सुनने की उत्सुकता भी है. अन्ना हजारे बुधवार को कदमकुआं से खुली...

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यौन हिंसा की जड़ें- अजेय कुमार

जनसत्ता 29 जनवरी, 2013:  सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा गठित समिति का उद्देश्य था आपराधिक कानूनों और अन्य प्रासंगिक कानूनों में ऐसे संभव संशोधन सुझाना ताकि ‘महिलाओं पर चरम यौन हमलों के मामलों में तेजी से फैसला हो सके और मुजरिमों को कहीं ज्यादा सजा दिलाई जा सके।’ अभी इस समिति को बने ज्यादा समय नहीं हुआ कि बलात्कार की अन्य हालिया घटनाओं...

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पुलिस का चेहरा- प्रेमपाल शर्मा

जनसत्ता 18 जनवरी, 2013: स्त्री की हिफाजत, हैसियत, बराबरी के किसी मुद्दे पर इतना बड़ा तूफान भारतीय समाज में शायद पहले कभी न खड़ा हुआ हो। दिल्ली में ही लोग सड़कों पर नहीं उतरे, मणिपुर, जम्मू, चेन्नै से लेकर मुंबई, कोलकाता आदि शहरों में भी आक्रोश और पश्चाताप के अलग-अलग स्वर सुनने को मिले। हमारी सामाजिक गिरावट की विडंबना का एक नमूना यह भी रहा कि फिजा में फैली फांसी की मांग...

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इरोम के सशस्‍त्र कानून के खिलाफ अनशन के 12 साल

मणिपुर में सशस्त्र कानून के खिलाफ 12 साल से अनशन कर रही इरोम शर्मिला अहिंसक प्रतिरोध की जीती जागती मिसाल हैं। इतनी लंबी भूख हड़ताल का दुनिया भर में दूसरा उदाहरण नहीं है। हाल‌ांकि सरकार ने उन्हें आत्महत्या करने की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार कर रखा है। इंफाल के जवाहर लाल नेहरु अस्पताल का एक सीलन भरा कमरा ही उनकी जेल है। उन्हें नाक के रास्ते लगातार तरल पदार्थ...

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समानता के पहरुए- अरुण माहेश्वरी

जनसत्ता 2 नवंबर, 2012: नवउदारवाद के लगभग चौथाई सदी के अनुभवों के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक अर्थशास्त्र को बुद्ध के अभिनिष्क्रमण के ठीक पहले ‘दुख है’ के अभिज्ञान की तरह अब यह पता चला है कि दुनिया में ‘गैर-बराबरी है’, और इससे निपटे बिना मुक्ति, यानी आर्थिक-संकटों की लहरों में डूबने से बचने का रास्ता नहीं है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ पत्रिका के ताजा अंक (13-19 अक्तूबर) में विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में उन्नीस...

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