भूमि अधिग्रहण (संशोधन) और पुनर्वास बिल को चालू संसदीय सत्र में पास पास करवाने की हड़बड़ी दिखाने के कारण यूपीए सरकार की भूरपूर आलोचना हो रही है।दोनों बिल को गरीबी-विरोधी माना जा रहा है क्योंकि इन बिलों के प्रावधानों से जाहिर होता है कि किसान अपनी जमीन से वंचित किए जायेंगे और इनका भारी संख्या में अपने वास स्थान से विस्थापन होगा। उपर्युक्त दोनों बिलों को पास करवाने की हड़बड़ी का...
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किसानों की गरीबी घटाने में छोटी जोतें बड़ी बाधा
लखनऊ। सरकार का नजरिया कुछ भी हो पर कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में 91 फीसदी किसानों की जोतें इतनी छोटी हैं कि इनके बूते गरीबी उन्मूलन तो दूर की बात, उनके परिवारों का पेट भर पाना ही कठिन है। इस मजबूरी में कृषि विविधीकरण सहित तमाम कृषि सुधार योजनाओं का फोकस सिर्फ नौ फीसदी किसान हैं, जिनके बूते सरकार कभी उत्पादन दुगुना करने का सपना देखती...
More »चिराग तले अंधेरा....
अधिकारों की हिफाजत में कानून बनाना एक बात है और सच्चाई की जमीन पर उतार पाना एकदम दूसरी बात।देश की राजधानी दिल्ली को ही देखें। एक तरफ तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार को साकार करने के लिए कानून अमल में आ गया है दूसरी तऱफ देश की राजधानी दिल्ली में में कामगार तबके की आबादी वाले कॉलोनियों में बच्चे नियमित पढ़ाई लिखाई से वंचित हो रहे हैं। दिल्ली में रोजमर्रा की...
More »अब सुल्तानपुरी केले की मचेगी धूम
सुल्तानपुर। केले का नाम आते ही महाराष्ट्र के भुसावल जिले का नाम बरबस सामने आ जाता है। अब सुल्तानपुर इससे होड़ लेने की तैयारी कर रहा है। इस जिले को केला उत्पादक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाना है। कृषि विविधिकरण व उद्यानीकरण योजना के तहत करीब 225 एकड़ जमीन में केले के पौधरोपण को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस योजना से तकरीबन 400 किसान लाभान्वित होंगे।...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
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