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कृषि, कर्ज और महंगाई की चुनौतियां

नई दिल्ली [भारत डोगरा]। जहां एक ओर कृषि नीति के सामने महंगाई व किसानों के कर्ज की ज्वलंत समस्याएं हैं, वहीं दूसरी ओर जलवायु बदलाव के संकट से जूझना भी जरूरी है। वैसे तो पहले भी यह बार-बार अहसास हो रहा था कि न्याय, समता व पर्यावरण हितों की रक्षा और खेती में टिकाऊ प्रगति के लिए कृषि-नीति में बदलाव जरूरी हो गए हैं। अब जब जलवायु बदलाव के कुछ दुष्परिणाम नजर आने लगे हैं और...

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जैव विविधता संरक्षण को अंतरराष्ट्रीय संधि संभव

नई दिल्ली। पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने शनिवार को कहा कि जैव विविधता से भरपूर संसाधनों तक पहुंच और उसके दोहन के लाभ में स्थानीय समुदाय की हिस्सेदारी सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से दुनिया के 193 देशों के बीच आगामी अक्टूबर तक अंतरराष्ट्रीय संधि के आकार लेने की संभावना है। रमेश ने यहां अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के मौके पर हुए समारोह में कहा कि जापान के नागोया में अक्टूबर मध्य...

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चिपको आंदोलन: याद रखेंगी पीढियां

नई दिल्ली। पेड़ों को लेकर लोग मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं लेकिन चिपको और अप्पिको आंदोलन में हरियाली के दूतों के बलिदान की तत्परता को पीढि़यां याद रखेंगी। ऐसा जनजागरण जिसमें विशेष तौर पर स्त्री शक्ति का प्रदर्शन हुआ था। सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में चिपको आंदोलन ने लोगों को वन रक्षा की प्रेरणा दी और सरकार को भी वनों की कटाई रोकने को विवश कर दिया। उत्तर भारत के चिपको आंदोलन से...

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यहां सौर ऊर्जा से पकता है 6 हजार लोगों का भोजन

देहरादून। तीर्थनगरी हरिद्वार स्थित गायत्री पीठ शांतिकुंज में वैकल्पिक ऊर्जा के तहत सौर ऊर्जा से प्रतिदिन छह हजार लोगों का भोजन पकाया जा रहा है जो अपने आप में पूरी दुनिया में अनूठी मिसाल है। शांतिकुंज के व्यवस्थापक गौरीशंकर शर्मा ने बताया कि विश्व में पारंपरिक ऊर्जा के तहत इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न यंत्रों और उपकरणों के माध्यम से विश्व का तापमान बढ़ रहा है जिसके मद्देनजर इस वैकल्पिक ऊर्जा को लोगों की जरूरतों...

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हरी वादियों का चितेरा

अस्सी के दशक की शुरुआत से ही एक अकेले व्यक्ति के शांत प्रयासों ने ऐसे ग्रामीण आंदोलन की नींव रखी जिसने उत्तराखंड की बंजर पहाड़ियों को फिर से हराभरा कर दिया। सच्चिदानंद भारती की असाधारण उपलब्धियों को सामने लाने का प्रयास किया संजय दुबे ने। (तहलका-हिन्दी से साभार) शायद ही कुछ ऐसा हो जो संच्चिदानंद भारती को उफरें खाल के बाकी ग्रामीणों से अलग करता हो। ये तो जब वो...

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