बंपर उत्पादन और तमाम सरकारी उपायों के बावजूद महंगाई दर में बढ़ोतरी से साबित होता है कि वितरण के मोर्चे पर अभी बहुत कुछ करना है। पिछले साढ़े तीन वर्षों में मोदी सरकार ने ग्रामीण सड़कों, सिंचाई, फसल बीमा और बिजली आपूर्ति के क्षेत्र में अहम सुधार किया है लेकिन भंडारण-विपणन ढांचे में सुधार अभी भी दूर की कौड़ी बना हुआ है। यही कारण है कि कुछ महीने पहले तक...
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कुप्रबंधन की थाली में फिर से न परोसा जाए पोषाहार!-- आशीष व्यास
'ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट 2016" के अनुसार मध्यप्रदेश की स्थिति बच्चों के कुपोषण-भूख के मामलों में चिंताजनक है। श्योपुर में कुपोषण से 2016 में 55 बच्चों की मौत हुई थी। इस साल भी तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। माना जाता है कि प्रदेश में सिर्फ 23 प्रतिशत बच्चे ही आंगनवाड़ियों में दर्ज हैं और इन्हीं के जरिए बच्चों के लिए पोषाहार की व्यवस्था की जाती है। पांच वर्ष...
More »परदेसी मीडिया का पूर्वाग्रह-- तवलीन सिंह
पिछले सप्ताह न्यूयार्क टाइम्स में एक लेख छपा था, जिसे पढ़ कर कई भारतीयों का खून खौलने लगा। मेरा भी। इसलिए कि इतना बकवास लेख में मैंने पहली बार पढ़ा होगा। लेखक भारतीय मूल का था शायद, लेकिन इतना भी नहीं जानता था कि हर हर महादेव का मतलब यह नहीं है कि हम सब शिव हैं। यही एक गलती होती इस लेख में तो उस पर लिखने की जरूरत...
More »शेल कंपनी कथा दूसरी कड़ी : काले धन के खिलाफ जंग राजधर्म है-- हरिवंश
राजनीति विचारधारा या भावना से चलती है और अर्थनीति शुद्ध स्वार्थ की नीितयों से. पिछले 60-70 वर्षों में एक तरफ राजनीति में भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग की बात भारत में बार-बार हुई, तो दूसरी तरफ भ्रष्ट ताकतों ने आर्थिक नियमों, कंपनी कानूनों को ऐसा बनाया कि भ्रष्टाचार की जड़ें लगातार मजबूत होती गयीं. शेल कंपनियां ऐसे ही कंपनी कानूनों की उपज हैं, पर आश्चर्य यह है कि 60-70 वर्षों...
More »35 किलो चावल के लिए चार दिन सफर करते हैं ग्रामीण
भोपालपटनम। बीजापुर जिले के भोपालपटनम ब्लॉक के सेंड्रा पंचायत के तीन सौ से अधिक परिवारों के लोग 35 किलो चावल के लिए चार दिन का सफर तय कर रहे हैं। दो अन्य पंचायतों के लोगों का भी यही हाल है। 2005 में सलवा जुडूम शुरू होने के बाद भोपालपटनम ब्लॉक के तीन पंचायतों सेंड्रा, बड़ेकाकलेड व एड़ापल्ली के सरकारी राशन दुकानों को ब्लॉक मुख्यालय में शिफ्ट किया गया था। इन तीन...
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