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बिहार के 24 जिलों में 70 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से आ सकता है तूफान

पटना : भारत सरकार के मौसम विभाग ने बिहार में 24 घंटे के अंदर भारी आंधी-तूफान आने का अलर्ट जारी किया है. विभाग के मुताबिक राज्य के 24 जिलों में इसका व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा. विभाग द्वारा जारी अलर्ट के मुताबिक सूबे के सुपौल, अररिया, भागलपुर, पूर्णिया, किशनगंज, जमुई, लखीसराय, बांका, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, शेखपुरा नालंदा, नवादा और गया समेत 24 जिलों में आंधी-तूफान कहर...

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मार्च में खुदरा महंगाई दर घटकर 4.83%, औद्योगिक उत्पादन दर में 2 % की वृद्धि

नयी दिल्ली : मुद्रास्फीति मार्च महीने में घटकर 4.83 प्रतिशत पर आ गयी है, जो इसका छह महीने का निचला स्तर है. मुख्य रूप से सब्जियों और दालों जैसे खाद्य उत्पादों के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आई है. फरवरी माह की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को उपर की ओर संशोधित कर 5.18 से 5.26 प्रतिशत किया गया है. इससे पहले सितंबर, 2015 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.41 प्रतिशत...

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अब सरकारी बैंकों के निजीकरण का वक्त - डॉ भरत झुनझुनवाला

विजय माल्या पर 7,000 करोड़ की देनदारी है तो दूसरे बड़े उद्यमियों पर इससे लगभग नौ गुना यानी 60,000 करोड़ रुपए की देनदारी है। माल्या का कहना है कि इस रकम के खटाई में पड़ने में सरकारी बैंकों की भी भागीदारी है, क्योंकि उन्होंने यह जानते हुए लोन दिए थे कि कंपनी संकट में है। सच यह है कि सरकारी बैंकों के अधिकारियों के लिए घटिया लोन देना लाभ का...

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कानूनी 'आधार' मिलने के मायने - सीता

आधार बिल का पास होना कितना महत्वपूर्ण है? वास्तव में यह बेहद महत्वपूर्ण है! पिछले हफ्ते दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के तत्वावधान में हुई एडवांसिंग एशिया कांफ्रेंस में मौजूद बहुतेरे अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने सरकार के इस कदम की तारीफ की। इस कानून का सीधा सरोकार सबसिडी के डायरेक्ट कैश ट्रांसफर से है और सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सबसिडी की...

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छद्म नायकों के इस दौर में-- अनुपम त्रिवेदी

विगत दिनों दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई घटना ने न केवल एक बड़ी बहस को जन्म दिया, बल्कि कुछ छद्म नायकों का भी सृजन किया. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश-विरोध और विभाजन के स्वर उठे. बहस बजाय इस पर होने के कि ऐसी आवाजें क्यों उठीं और इनके पीछे क्या मंतव्य है, बहस का दायरा दोषी कौन है और कौन नहीं पर सिमट गया. जिस आजादी...

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