नई दिल्ली। छह से 14 साल के बच्चों को अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा का अधिकार (आरटीई) लागू करने में पिछले तीन साल के दौरान पूरे देश में कुल 1.13 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मिली है। आरटीई पर देशभर में कुल खर्च व लाभार्थियों की संख्या पर गौर करें तो 2010-11 में यह प्रति छात्र 2384 रुपए आता है जो 2011-12 में...
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हेराफेरी पर कस रही आरटीआइ की नकेल
सूचना का अधिकार कानून भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई व अपने अधिकारों को पाने का माध्यम बन गया है. झारखंड के गांवों में बड़ी संख्या में लोग आरटीआइ का प्रयोग कर रहे हैं. आरटीआइ के जरिये भ्रष्टाचार का खुलासा करने या अपने अधिकारों को पाने वाले लोगों से प्रेरित होकर दूसरे लोग भी आरटीआइ का उपयोग कर रहे हैं. इस बार की आमुख कथा में पंचायतनामा ने आरटीआइ के ऐसे ही किस्सों...
More »यह गरीबी खत्म करने की रेखा नहीं- मिहिर शाह(योजना आयोग के सदस्य)
गरीबी के बारे में योजना आयोग के नवीनतम आकलन पर बड़ी चीख-पुकार मची। यह हाय-तौबा जितनी तेज थी, समझ और विवेक उसी अनुपात में कम। सबसे निंदनीय थे वे राजनेता, जिन्होंने आम आदमी को चोट पहुंचाने वाली बातें कहीं। जरूरी यह है कि हम ये समझने का प्रयास करें कि सुरेश तेंदुलकर की गरीबी रेखा वास्तव में क्या बताती है? सुरेश तेंदुलकर देश के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में से एक थे। उन्हीं...
More »खाद्य सुरक्षा से दूर होगी कुपोषण की समस्या
डॉ राजवीर शर्मा आइएआरआइ पूसा इंस्टीटयूट में बतौर प्रिंसिपल साइंटिस्ट(एग्रोनॉमी-ब्रीड कंट्रोल) कार्यरत हैं. पेश है खाद्य सुरक्षा और किसानों की समस्या पर पंचायतनामा के लिए संतोष कुमार सिंह से विशेष बातचीत : सरकार का दावा है कि खाद्य सुरक्षा कानून गरीबों के लिए है, इस लिहाज से मात्र 67 फीसदी लोगों को इसके दायरे में रखा गया है? इसका क्या मतलब हुआ क्या यह माना जाये कि देश में 67 फीसदी गरीब...
More »तू क्यों पिछड़ी लाडो!- प्रियंका कौशल
छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों में आज भी महिलाओं को पुरुषों से ऊंचा दर्जा दिया जाता है और इसकी शुरुआत होती है परिवार में बेटियों को तवज्जो देने से. लेकिन राज्य की राजनीति में यह तस्वीर बिल्कुल उल्टी है. प्रियंका कौशल की रिपोर्ट. राजनीति में परिवारवाद ऐसी बुराई हो चली है जिसके खिलाफ कोई मुहिम नहीं छेड़ी जा सकती. अब यदि ऐसा है तो क्या इसमें कुछ सकारात्मक पक्ष खोजा जा सकता...
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