सलाह मिल गयी है. खाद्य-सुरक्षा विधेयक का मसौदा अपनी परिणति तक आ पहुंचा है. लोग जान गये हैं कि यूपीए सरकार ना सही सबको तो भी कम-से-कम 80 फ़ीसदी लोगों को सस्ता अनाज देने जा रही है. लोग खुश हैं या नहीं, कहा नहीं जा सकता. भोजपुरी में एक कहावत है-ये सूरदास घीव कड़कड़ाईल बा और सूरदास का जवाब कि थरिया में पड़ो तब नू. खाद्य-सुरक्षा के मामले में जनता-जनार्दन...
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हाईब्रिड बीजों से किसानों को 8 करोड़ का नुकसान
रायपुर.हाईब्रिड बीजों के कारण राज्य के किसान एक बार फिर मुसीबत में हैं। प्याज, गोभी और टमाटर के बाद अब धान के हाईब्रिड बीजों ने किसानों की गाढ़ी कमाई पर पानी फेर दिया है। राज्य सरकार ने शुरुआती जांच में धान के पैदावार में 60 प्रतिशत के नुकसान का अनुमान लगाया है। इस साल प्रदेश में 1430 हेक्टेयर में हाईब्रिड बीजों से धान की फसल लगी है। बीज निगम ने किसानों को...
More »वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी
विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...
More »पीपीपी से सावधान -योगेश दीवान
भूमंडीलकरण-उदारीकरण के इस काल में अचानक एनजीओ या सिविल सोसाइटी समूहों की बाढ़ आना और वह भी शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, परिवहन और भोजन के मुद्दों पर थोड़ा शक पैदा करता है. खासकर, डब्ल्यूएसएफ की उस पूरी प्रक्रिया के बाद जो कहता था- “एक और दुनिया संभव है.” WSF इस असंभव को संभव बनाया है पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के उस मॉडल ने, जो न सीधा निजीकरण है न पूंजीवाद और न...
More »रोज कूड़े में जाता है 82 करोड़ रुपए का अनाज
नई दिल्ली. भारत में एक ओर रोज करोड़ों लोगों को भूखे सोना पड़ता है, जबकि दूसरी ओर हर दिन 82 करोड़ रुपये से भी ज्यादा मूल्य का अन्न बर्बाद हो जाता है। वह भी केवल इसलिए क्योंकि सरकार के पास यह अन्न रखने और एक जगह से दूसरी जगह लाने-ले जाने की पर्याप्त सुविधा नहीं है। केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री सुबोध कांत सहाय ने सोमवार को राज्य सभा में एक सवाल के...
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