सत्रह वर्ष पहले पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल क्षेत्र में आक्रमण किया था. वह भारत के लिए एक चुनौती थी, जिसे हमारी सेना ने मुंहतोड़ जवाब देकर खत्म कर दिया था. उस युद्ध से एक अच्छी सीख हमें मिली थी. जब युद्ध चरम पर था, तब उपग्रह प्रणाली के जरिये हमने दुश्मन के कोऑर्डिनेट्स (स्थल पहचान चिह्न) पता करने के लिए अमेरिका से जीपीएस डाटा (जीपीएस अमेरिकी सिस्टम है) मांगा था....
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अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार का घुन-- अरविन्द कुमार सिंह
दुनिया के अनेक देशों की तुलना में भारत भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में पिछड़ रहा है। यह स्थिति तब है जब यहां भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानूनों से लैस तमाम एजेंसियां हैं और नागरिक समाज आंदोलित है। वैसे तो भ्रष्टाचार ने पूरी दुनिया को गिरफ्त में ले रखा है, लेकिन अगर भारत की बात करें तो जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला न...
More »सात दशक के बाद-- रघु ठाकुर
स्वतंत्रता और स्वाधीनता का क्या अर्थ है? स्वतंत्रता एक व्यवस्थागत आजादी का बोध कराती है। मसलन, स्वतंत्र यानी हमारे देश का अपना प्रशासन, अपनी शासन-प्रशासन प्रणाली। पर स्वाधीनता उससे कुछ ज्यादा व्यापक अर्थ देती है, जिसमें किसी भी प्रकार की अधीनता न हो। एक देश के रूप में हम अपने ही अधीन हों- एक नागरिक के रूप में, हम अपनी अंतरात्मा के अधीन हैं। अब प्रश्न यह है कि आज...
More »इरोम के मुद्दों से भागता समाज-- उर्मिलेश
सोलह साल बाद अपना ऐतिहासिक अनशन तोड़नेवाली मणिपुर की 44 वर्षीया इरोम शर्मिला चानू के बारे में हर कोई बात कर रहा है, पर ज्यादा लोगों की रुचि उस मुद्दे में नहीं दिखती, जिसके लिए इरोम ने अपनी जिंदगी दावं पर लगा दी. यह संयोग नहीं कि हर विचार, रंग और धारा के राजनेता और दल आमतौर पर उनके अभियान पर खामोश रहे. मीडिया यदा-कदा उनके बारे में छापता-दिखाता...
More »जातीय संरचना, अहिंसा और अंबेडकर-- अजमेर सिंह काजल
आधुनिक काल में ज्योतिबा फुले और बाबा साहेब आंबेडकर ने शासन, सत्ता और संस्कृति के विभिन्न केंद्रों में मौजूद जातीय सैद्धांतिकी को चुनौती देकर ऐतिहासिक कार्य किया। सामाजिक समानता का जो अहसास बाबा साहेब आंबेडकर को संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन में पढ़ते हुए हुआ, वह हमारे लोकजीवन में कहीं नहीं था। इसलिए शिक्षा प्राप्ति के बाद भारत वापस आने पर उन्होंने इसी लोक जीवन में व्याप्त सदियों पुरानी बीमारियों...
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