गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...
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अनरियल एस्टेट- हिमांशु शेखर(तहलका)
उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले विकास चौहान जब करीब एक दशक पहले दिल्ली आए तो उनके कई सपनों में से एक यह भी था कि देश की राजधानी में उनका एक अपना आशियाना हो. नौकरी मिली और आमदनी बढ़ने लगी तो उन्होंने अपने इस सपने को पूरा करने की कोशिश शुरू कर दी. प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों की वजह से दिल्ली में तो कोई मकान उन्हें अपने बजट...
More »सुनो, मध्य वर्ग की आहट -शशि भूषण
अन्ना हजारे, सिविल सोसाइटी, सरकार और सर्वोपरि संसद समाजशास्त्री व अर्थशास्त्री जो लोग इन बड़े समाचारों के बीच उनके भीतरी आशय जानना चाहते हैं, उनके के लिए ये सब बहस के मुद्दे हो सकते हैं, किंतु आम लोग, लोकपाल या जन लोकपाल में कुछ फर्क भी है, यह जानने की जरूरत नहीं समझते. उन्हें बस इतना पता चल गया है कि एक पर एक मंत्री एक से आला भ्रष्टाचार के नये कीर्तिमान...
More »मप्र में लोकायुक्त को और अधिकारों की जरूरत
धर्मेद्र पैगवार, भोपाल। जब पूरे देश में जनलोकपाल को लेकर आम जनता सड़कों पर है, तब सूबों में तैनात लोकायुक्त संगठनों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। मप्र में लोकायुक्त संगठन तो है, लेकिन खुद यहां के लोकायुक्त कई साल पहले इस संगठन को बिना दांत का शेर कह चुके हैं। लोकायुक्त जस्टिस प्रकाश प्रभाकर नावलेकर कहते हैं कि यहां संगठन तो है, लेकिन कुछ ऐसे अधिकारों की...
More »समझौते के मूड में सरकार, अन्ना पक्ष भी तैयार
केंद्र और टीम अन्ना के बीच सुलह का रास्ता साफ होता दिख रहा है. सरकार ने लोकपाल पर वार्ता के लिए अपनी ओर से जयराम नरेश, एंटोनी का नाम दिया है, जिस पर टीम अन्ना तैयार हो गयी है. इससे पहले अन्ना ने कहा था कि वे पीएम और राहुल गांधी से ही बात करेंगे और किसी से बात नहीं करेंगे. इधर आध्यात्मिक गुरू भय्यू जी महाराज ने अन्ना को...
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