संसार की सच्चाइयों के परे, क्या कहीं प्रचार-प्रसार की कोई सीमा भी है? क्या सभी चीजें उनकी वास्तविकताओं में नहीं, वरन उनकी प्रस्तुति में ही परखी जा सकती हैं? क्या सत्य स्व-विज्ञापन के वाष्प से सृजित एक मरीचिका मात्र है? या कि यदि विज्ञापन अपने दावे के अतिरेक की वजह से वास्तविकता से बहुत विलग हो जाये, तो वह स्व-विनाशक भी हो उठता है? हमारी वर्तमान सरकार प्रचार की जिस...
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'दुनिया भर में पकने वाले भोजन का एक-तिहाई बेकार हो जाता है'
दुनिया में पकने वाले कुल भोजन का एक-तिहाई बेकार हो जाता है और उसे फेंक दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र पयार्वरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के इंटरनेशनल रिसोर्स पैनल के सह-अध्यक्ष जेनेज पोटोकनिक ने यह बात कही। पोटोकनिक हेलसिंकी में आयोजित पहले वर्ल्ड फोरम ऑफ सेकुलर इकोनॉमी(डब्ल्यूसीईएफ2017) के उद्घाटन समारोह के मौके पर बोल रहे थे। इस आयोजन में 90 देशों के लगभग 1700 विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। पोटोकनिक ने कहा कि...
More »शर्मनाक: पिछले 7 सालों में करीब 98 हजार किसानों-खेतीहर मजूदरों ने की आत्महत्या
तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश से लेकर बिहार तक हमारा पेट भरने वाले किसान आंदोलित हैं। पिछले तीन सालों से पड़े सूखे ने किसानों और खेतीहर मजदूरों ने कमर तोड़ दी है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार 2009 से 2015 के दौरान 97847 किसानों और खेतीहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। किसानों द्वारा आत्महत्या का मुख्य कारण कर्ज रहा है जबकि खेतिहर मजदूरों के लिए ‘पारिवारिक समस्याएं'...
More »वायु प्रदूषण से कमजोर हो रहे हैं लोगों के दिल, हर साल होती हैं 55 लाख मौतें
मल्टीमीडिया डेस्क। प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के दिल उन लोगों की तुलना में कमजोर हैं, जो नियमित रूप से स्वच्छ हवा में सांस लेते हैं। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि यह सबूत है कि जीवाश्म ईंधन लोगों की जान ले रहा है। शोधकर्ताओं ने कहा कि जब डीजल वाहनों से जुड़े प्रदूषण का स्तर यूरोपीय संघ द्वारा निर्धारित सेफ्टी...
More »मोदी सरकार के तीन साल-- योगेन्द्र यादव
नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल के तीन बुनियादी सच हैं. इनमें से किसी भी सच से मुंह चुराना यानी आज हमारे देश की राजनीति से मुंह चुराना है. पहला सच है: नरेंद्र मोदी आज पूरे देश में लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं. दूसरा सच है: नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता उनके कामों और उपलब्धियों के कारण नहीं है, बल्कि उनकी छवि पर आधारित है. तीसरा सच है: मोदी की छवि कुछ तो...
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