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हमारे लोकतंत्र का शीत सत्र-- मोहन गुरुस्वामी

संसद का अत्यंत विलंबित शीत सत्र शुरू हो चुका है. इसमें मची चीख-पुकार के सिवाय, मेरी समझ से यह समाप्तप्राय है. ऐसे बहुत-से मुद्दे हैं, जिन पर चर्चा होनी ही चाहिए थी, मगर वह नहीं होगी जैसे, राफेल, प्रस्तावित वित्तीय संकल्प और जमा बीमा (एफआरडीआई) बिल, जीएसटी का क्रियान्वयन, नोटबंदी की सामाजिक एवं आर्थिक कीमतें, ग्रामीण संकट, आदिवासी अशांति, नेपाल की घटनाएं, मालदीव के साथ चीन का मुक्त व्यापार करार....

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नर्मदा में छोड़ा जा रहा MP के शहरों का गंदा पानी, गुजरात HC में याचिका

अहमदाबाद। मध्यप्रदेश के शहरों का गंदा पानी नर्मदा में छोड़े जाने का मामला गुजरात हाई कोर्ट में उठा है। याचिका में कहा गया है कि मध्यप्रदेश के 14 जिलों से नर्मदा गुजर रही है और शहरों का गंदा पानी बगैर फिल्टर किए नर्मदा में डाला जा कहा है। इससे गुजरात के लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सुभाष रेड्डी...

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चिकित्सा आयोग की चुनौतियां-- डा. ए के अरुण

नरेंद्र मोदी जी के केंद्र की सत्ता में आते ही देश की कई संस्थाओं में बदलाव की पहल शुरू हुई. सबसे पहले योजना आयोग को बदलकर 'नीति आयोग' कर दिया गया. अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया को नीति आयोग का पहला उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. फिर पनगढ़िया के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन कर यह प्रक्रिया शुरू की गयी कि भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) और साथ-साथ आयुष की चिकित्सा...

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स्वास्थ्य सेवा का सस्ता और कारगर विकल्प हो सकता है 'एमहेल्थ' -- नई रिपोर्ट

देश के स्वास्थ्य ढांचे का 70 फीसद हिस्सा सिर्फ 20 शहरों तक सीमित है. ऐसे में अचरज की बात नहीं जो 30 फीसद भारतीय प्राथमिक स्तर की भी चिकित्सा सुविधा से वंचित है. तो फिर सबको स्वास्थ्य सुविधा फराहम करने का लक्ष्य कैसे हासिल हो ?   कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री(सीआईआई) द्वारा जारी एक नीति-पत्र के मुताबिक इस समस्या का समाधान हो सकता है हमारे-आपके हाथ में मौजूद मोबाइल फोन. (देखें नीचे...

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बचत पर बाजार की नजर-- राजू पांडेय

अब आम आदमी का धन क्या बैंकों में सुरक्षित नहीं रहेगा? एफआरडीआइ विधेयक की बाबत इस सवाल पर चर्चा जारी है। सामान्यतया बैंक और उसके जमाकर्ताओं के हित परस्पर विरोधी नहीं होते, पर जब उद्योगपतियों को दिए गए विशाल कर्जों की माफी के लिए ‘बेलआउट पैकेज' और इस कारण दिवालियेपन के कगार पर पहुंचे बैंकों को बचाने के लिए ‘बेल इन' का सहारा लिया जाता है तब बैंकों और जमाकर्ताओं...

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