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बाल-अधिकारों के बीस बरस

बाल-अधिकारों के बीस बरस बाल अधिकारों की वैश्विक स्वीकृति से जुड़े कन्वेंशन को दो दशक होने को आये लेकिन दुनिया आज भी बच्चों के लिए इस धरती को एक बेहतर, ज्यादा सुरक्षित और सेहतकारी बनाने के लक्ष्य से बहुत दूर है। इस दिशा में सबसे बड़ी चुनौती दक्षिण एशिया और उप सहारीय अफ्रीका में मौजूद है जहां प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा का अभाव है और गरीबी,बीमारी,शोषण तथा बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की समस्या आज भी गंभीर...

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आपदाओं से लड़ने के लिए भी जीरो टालरेंस

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दुनिया के देश जैसे आतंकवाद से लड़ाई में 'जीरो टालरेंस' की बात कर रहे हैं, वैसी ही इच्छाशक्ति आपदाओं से लड़ने के लिए भी चाहिए। यहां विज्ञान भवन में जुटे देश-दुनिया के सभी वैज्ञानिक और अधिकारी इस मुद्दे पर एक मत दिखे। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान [एनआईडीएम] ने कुदरत के कहर या मानवजनित आपदाओं से लड़ने के उपाय खोजने के लिए तीन साल पहले राष्ट्रीय आपदा...

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दो सिरदर्द का एक इलाज

चीन के साथ तनाव और माओवादियों द्वारा पेश की गई चुनौतियों ने पिछले कुछ हफ्तों से अखबारों की काफी सुर्खियां बटोरी हैं। हालांकि इन दोनों मसलों का एक दूसरे से जुड़ाव नहीं दिखता, लेकिन ये दोनों तब एक साथ केंद्र में आ जाते हैं जब हम आर्थिक विकास व मानव विकास के मुख्य आंकड़ों पर नजर डालते हैं। पहले चीन की बात करते हैं। वैश्विक आर्थिक प्रभाव, कूटनीतिक पहुंच, सैन्य शक्ति व...

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भुखमरी और कुपोषण के हालात बयान करते दो और रिपोर्ट

दो जून भर पेट भोजन ना जुटा पाने वालों की तादाद दुनिया में इस साल एक अरब २० लाख तक पहुंच गई है और ऐसा हुआ है विश्वव्यापी आर्थिक मंदी और वित्तीय संकट(२००७-०८) के साथ-साथ साल २००७-०८ में व्यापे आहार और ईंधन के विश्वव्यापी संकट के मिले जुले प्रभावों के कारण। यह खुलासा किया है संयुक्त राष्ट्र संघ की इकाई फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन की हालिया रिपोर्ट ने । द...

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पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट

खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...

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