पूर्व पाक विदेश मंत्री कसूरी की पुस्तक के भारत में विमोचन को लेकर जिस अशोभनीय विवाद ने तूल पकड़ा है, उसने हमें यह सोचने को विवश कर दिया है कि आज हमारे देश में कट्टरपंथी असहिष्णुता किसी एक तबके या मजहब तक सीमित नहीं रह गयी है. मुंबई में इस कार्यक्रम का आयोजन करवानेवाले सुधींद्र कुलकर्णी के मुख पर स्याही पोत शिव सैनिकों ने अपना ही नहीं, देश का मुख...
More »SEARCH RESULT
लेखकों के विरोधी तेवर अच्छी बात - मृणाल पांडे
राजनीति और राजकाज पर दलगत राजनीति से बाहर कई अलग-अलग कार्यक्षेत्रों में भी गंभीरता से विचार किया जाता है। शासन उदार और संवेदनशील हो तो राजनीति के बाहर से आ रही प्रतिरोध की आवाज को सादर सुनकर राजनीति में संशोधन किए जाते हैं। पर यदि शासक आलोचना को राजद्रोह मानने पर उतारू हो जाए तो छुटभैये मुसाहबों द्वारा साहित्यिक, अकादमिक या स्वैच्छिक संगठनों से जुड़े आलोचकों को अपमानित करने से...
More »एक योजना का निराधार हो जाना-- हरजिंदर
यूनीक आइडेंटिटी नंबर यानी आधार की राह कभी आसान नहीं थी। खासतौर पर आम लोगों ने इसके लिए काफी पापड़ बेले हैं। पांच साल पहले, जब कार्ड बनाने की शुरुआत हुई थी, तो इसका फॉर्म लेने के लिए ही लंबी लाइनें लगती थीं। फिर उंगलियों के निशान और आंखों की पुतलियों का स्कैन दर्ज कराने के लिए हफ्तों बाद का समय मिलता था। इतने इंतजार के बाद नियत समय पर पहुंचने...
More »उच्च शिक्षा की होड़ से पहले- चंदन श्रीवास्तव
उच्च शिक्षा-संस्थानों में कौन कितना बेहतर है, यह निर्धारित करने के लिए सरकार ने एक देसी फ्रेमवर्क बनाया है. संस्थानों को उनकी श्रेष्ठता के क्रम में ऊपर से नीचे सजाने की तरकीब आकर्षक लग सकती है और जरूरी भी. जो अभिभावक अपने होनहारों की उच्च शिक्षा पर बरसों की जमा रकम खर्च करने का फैसला लेते हैं, या फिर जो छात्र अपनी पढ़ाई के लिए सूद की ऊंची दरों पर...
More »लोकतंत्र को दबोचता बर्बर भीड़तंत्र-- उर्मिलेश
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 35 किमी की दूरी पर ग्रेटर नोएडा के एक गांव बिसायरा में सोमवार की रात कुछ लोगों ने संगठित ढंग से 50 वर्षीय अखलाक अहमद के घर पर हमला कर उसको मार डाला. अखलाक का 22 वर्षीय बेटा भी अस्पताल में जीवन-मृत्यु के बीच झूल रहा है. एकाएक हुए इस हमले, तोड़फोड़, लूटमार और हत्या की वजह क्या थी? एक अफवाह कि अखलाक गोमांस खाता...
More »