इंदौर। मध्यप्रदेश के अलग-अलग इलाकों में हफ्ते भर से जारी बारिश रबी की फसल के लिए भले ही वरदान साबित हो रही हो, लेकिन ईंट निर्माण उद्योग से जुड़े लोगों के लिए यह कुदरती कहर बन गई है। भट्टा मालिकों ने प्रदेश सरकार से सहायता की मांग की है। मध्यप्रदेश ब्रिक्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश प्रजापति ने बताया कि प्रदेश में अकेले मालवा-निमाड़ क्षेत्र में 3500 से ज्यादा ईंट...
More »SEARCH RESULT
राज्य आंदोलनकारी की विधवा दो जून रोटी को तरसी
जैंती (अल्मोड़ा) : उत्ताराखण्ड राज्य आंदोलन में अपनी शहादत देने वाले जिले के एकमात्र आंदोलनकारी की विधवा मेहनत मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर रही है। नेताओं के लाख घोषणाओं के बावजूद शहीद की जन्मस्थली मिरोली गांव आज भी रोड, पानी, बिजली के लिए मोहताज है। उत्ताराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान अल्मोड़ा जनपद के मल्ला सालम के मिरोली निवासी प्रताप बिष्ट की 3 अक्टूबर 1994 को पुलिस...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
More »कोसी का कहर
कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...
More »नरेगा और सोशल ऑडिट
खास बात • मनरेगा में वित्तवर्ष 2015-16 में 235.6 करोड़ व्यक्ति-दिवसों के बराबर रोजगार का सृजन हुआ है. यह पिछले पांच सालों में अधिकतम है. • वित्तवर्ष 2015-16 में कुल 5.35 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत रोजगार की मांग की लेकिन केवल 4.82 करोड़ परिवारों को ही रोजगार दिया जा सका यानी 9.9 फीसद परिवारों को मांग के बावजूद रोजगार नहीं हासिल हुआ. • वित्तवर्ष 2015-16 में मनरेगा में प्रति परिवार औसतन 49 व्यक्ति दिवसों के बराबर...
More »