करीब पौने दो साल की मशक्कत के बाद केंद्र द्वारा गठित सातवें वेतन आयोग ने जो रिपोर्ट सौंपी है उससे भारत सरकार के सैंतालीस लाख कर्मचारियों और बावन लाख पेंशनभोगियों को सीधे-सीधे लाभ पहुंचेगा। परंपरा के अनुसार मामूली कतर-ब्योंत के बाद देश भर की राज्य सरकारें, स्वायत्तशासी संस्थान और सरकारी नियंत्रण वाली फर्म भी वेतन आयोग को अपना लेती हैं। इस हिसाब से इसका असर संगठित क्षेत्र के दो करोड़...
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मध्यप्रदेश- सबको घर देने की न मियाद तय, न ही मिलेगा किराया
हरीश दिवेकर, भोपाल। प्रदेश में जिनके पास अपने खुद के घर नहीं है, उन्हें घर देने के लिए राज्य सरकार आवास गारंटी योजना लाने का दावा कर रही है। लेकिन हकीकत ये है कि योजना प्रस्ताव स्तर पर ही अपने मूल उद्देश्य से भटक रही है। हाल ही में मुख्य सचिव अंटोनी डिसा की अध्यक्षता में हुई वरिष्ठ सचिव समिति ने इस कानून में गारंटी देने वाले कुछ मुख्य प्रावधान...
More »'बैंक-बीमा कंपनियां ठग रहे हैं किसान को'-- योगेन्द्र यादव
किसानों के लिए फ़सल का बीमा सुनने में बहुत अच्छा विचार लगता है लेकिन असल में जब किसान बैंक से क़र्ज़ लेता है तो बिना उससे पूछे, बिना उसकी अनुमति लिए ज़बर्दस्ती उसके अकाउंट से पैसा काटकर बीमा करवा दिया जाता है. बीमा करवाना है या नहीं इसका फ़ैसला किसान नहीं ले सकता. बीमा किस कंपनी से करवाना है, किन शर्तों पर करवाना है यह भी किसान के हाथ में नहीं....
More »तुम रिजेक्टेड हो, तुम किसान हो-- अजय शर्मा
वैसे भी तुम्हारी चीखें गांव के आसमान में खो जाने वाली हैं. हो सकता है कि लिखने से ये वहां तक पहुँच जाएं, जहां वो सुनने के बाद रिजेक्ट की जा सकें. मुझे याद है, बस यही ख्याल तब मेरे मन में थे. तेलंगाना में लिंगमपल्ली टांडा गांव के स्कूल में योगेंद्र यादव एक तरफ़ किसानों के दुख अपनी नोटबुक में दर्ज कर रहे थे. और उनसे कुछ दूर मैं इस बुज़ुर्ग...
More »फ़सल बंपर, लेकिन किसान क्यों दे रहे जान?-- जुबैर अहमद
18 वर्षीय लवप्रीत सिंह का जीवन सामान्य तरीके से गुज़र रहा था. लेकिन पिछले महीने उनकी ज़िन्दगी में तब उथल-पुथल आई जब उनके पिता, 42 वर्षीय किसान बलविंदर सिंह, ने आत्महत्या कर ली. अमृतसर के निकट एक छोटे से गांव में अब वह अपनी मां और दादी के साथ रहते हैं और अकेली संतान होने के नाते परिवार की सारी ज़िम्मेदारियां उनके युवा कधों पर आ गई हैं. धान के दाम तेज़ी...
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