SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1713

‘सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं को मरने के लिए छोड़ दिया है, क्या वे देश की नागरिक नहीं हैं’

-द वायर, देश में कोरोना महामारी के जोखिम के बीच शहरों से लेकर दूरदराज के गांवों तक घर-घर जाकर आंकड़े जुटाने का काम कर रहीं मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता यानी आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार की भेदभावकारी नीतियों के खिलाफ बिगुल बजा दिया है. सरकारी नीतियों से खफा इन आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी कुछ मांगों के साथ बीते नौ अगस्त को दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन भी किया था, जिसके...

More »

आदिवासियों के सवालों पर चुप्पी क्यों?

-डाउन टू अर्थ, भारत जैसे महादेश में आज आदिवासियत पर विमर्श अपरिहार्य है। वास्तव में यह केवल अस्मिता अथवा अधिकारों का मसला मात्र नहीं है - आदिवासियत की प्रासंगिकता उन तमाम संदर्भों से भी है, जो आदिवासी समाज के संपन्नता से विपन्नता तक के संक्षिप्त इतिहास में आज कहीं जाहिर-अजाहिर तौर पर दर्ज हैं। सरकारों के लिये आदिवासियत का पूर्ण-अपूर्ण अर्थ आदिवासी समाज का 'संवैधानिक दर्जा' है। एक ऐसा संवैधानिक दर्जा,...

More »

लॉकडाउन में जेवर, फोन, जमीन तक बेचा, क़र्ज़ लिया, लेकिन सरकार के कामों से संतुष्ट हैं 74% ग्रामीण: गांव कनेक्शन सर्वे

-गांव कनेक्शन, कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन से परेशान लोगों को मोबाइल और ज्वैलरी और जमीन तक बेचनी पड़ी, पड़ोसियों और दोस्तों से उधार और कर्ज़ लिया, बावजूद इसके 74% ग्रामीण, कोरोना महामारी से लड़ने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट दिखें। गांव कनेक्शन द्वारा कोविड-19 लॉकडाउन के बाद किए गए ग्रामीण भारत के पहले राष्ट्रव्यापी सर्वे में ऐसी कई रोचक...

More »

जल शक्ति मंत्रालय की हर घर जल योजना में पानी के साथ आर्सेनिक भी घर-घर पहुंचेगा

-द प्रिंट, बिल्ली होती है ना, बिल्ली.  वह क्या करती है, दूध पीते समय अपनी आंखें बंद कर लेती है और सोचती है कि कोई उसे देख नहीं रहा. यही हाल पानी से जुड़ी सभी ऐजेंसियों को जोड़कर बनाए गए जलशक्ति मंत्रालय का भी है. गंगा पथ पर पानी की गुणवत्ता जांचे बिना वह हर घर नल जल पहुंचाने में जुटा है. डिटेल में जाने से पहले सौरभ सिंह की छोटी सी...

More »

प्रवासियों के लिए उठाए गए कदम को सुप्रीम कोर्ट को बताने में विफल रहे 28 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश

-द प्रिंट, 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 45 दिन पहले शीर्ष अदालत द्वारा निर्देशित तीन मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कानूनों के तहत प्रवासी श्रमिकों के लिए उठाए गए कदमों के विवरण सर्वोच्च न्यायालय को देने में विफल रहे हैं. यह 31 जुलाई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर दर्ज स्वतः संज्ञान मामले पर दायर एक निहितार्थ आवेदन की सुनवाई के दौरान सामने आया था. एनएचआरसी ने यह इंगित...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close