हालांकि नई फसल बीमा योजना को प्रधानमंत्री ने "किसान की सारी मुसीबतों का समाधान" बताया है लेकिन लगातार दो दफे सूखे की चपेट में आई खेतिहर अर्थव्यवस्था की मौजूदा बदहाली नये बजट में फौरी तौर पर विशेष उपाय करने की मांग करती है.(देखें प्रधानमंत्री का भाषण) एक ऐसी स्थिति में जब कृषिगत सकल घरेलू उत्पाद में लगातार दो वित्तवर्षों (2014-15 में -2%, 2015-16 में 1.1%) में बड़ा मामूली इजाफा हुआ हो,...
More »SEARCH RESULT
कैसा हो हरदिल अजीज बजट- सुषमा रामचंद्रन
आगामी आम बजट सरकार के लिए बहुत खास है। उसकी दशा-दिशा के लिए यह बेहद मायने रखता है। वैसे तो हर आम बजट देश के वित्त मंत्री के लिए एक चुनौती होता है और सभी को खुश करना भी आसान नहीं, लेकिन अरुण जेटली के लिए एनडीए सरकार का यह तीसरा बजट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई अर्थों में सरकार का राजनीतिक भविष्य इस बजट पर निर्भर करेगा। मोदी सरकार बड़े...
More »हर रोज ढाई हजार किसान छोड़ रहे हैं खेती
लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता किशन पटनायक ने कहा कि खेती और किसान की वर्तमान दशा के बीच यक्ष प्रश्न यह उठ खड़ा हुआ है कि वास्तव में किसान कौन हैं, किसान की क्या परिभाषा हो? एेसा इसलिए है कि वित्तीय योजनाओं के संदर्भ में किसान की एक परिभाषा है, तो राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो का कोई दूसरा मापदंड है, पुलिस की नजर में किसान की अलग परिभाषा है... इन सबके...
More »सरकारी बैंकों में बढ़ेगी एफडीआई सीमा
नई दिल्ली। आम बजट बैंकिंग सुधार के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर न्यूनतम 51 फीसद करने की घोषणा केंद्र सरकार पहले ही कर चुकी है। वह बैंकों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई ) की सीमा भी बढ़ाने पर विचार कर रही है। अभी बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा 20 फीसद है। इसे बढ़ाकर 49 फीसद तक किया जा सकता...
More »अर्थव्यवस्था की कमजोर कड़ी बने सरकारी बैंक
नई दिल्ली। केंद्र सरकार भले ही यह दावा कर रही हो कि भारत अभी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है और आंकड़ों में यह दावा सही भी है। लेकिन सरकारी बैंकों की माली हालत देख कर ऐसा नहीं लगता। जानकारों का कहना है कि सरकारी बैंक देश की अर्थव्यवस्था की सबसे कमजोर कड़ी बन चुके हैं। दिसंबर, 2015 को समाप्त तिमाही में देश के 11 प्रमुख सरकारी बैंक...
More »