नई दिल्ली। वायु प्रदूषण का हमारी जिंदगी पर बहुत बुरा प्रभाव डाल रहा है। ताजा खुलासा तो और भी चौंकाने वाला है कि इससे हमारी जिंदगी के छह साल भी कम हो रहे हैं। दिल्ली में हर साल होने वाली दस हजार से लेकर तीस हजार मौतों के लिए यहां का वायु प्रदूषण जिम्मेदार है और पूरे देश में होने वाली कुल मौतों का यह पांचवां बड़ा कारक है। अध्ययन...
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पर्यावरणीय नैतिकता और यथार्थ-- के. सिद्धार्थ
सभ्यता और सभ्य होने का सिर्फ एक अर्थ है,अपने आसपास के पर्यावरण का आदर और आदरसूचक मूल्य से उसके प्रति सोच। सभ्यताओं का पतन तभी होता है जब आसपास के पर्यावरण के प्रति सम्मान कम हो जाता है, पर्यावरण के प्रति नजरिया व परिप्रेक्ष्य बदल जाता है। सिंधु घाटी, दजला फरात, माया- इन सभी सभ्यताओं का पतन इन्हीं कारणों का प्रतिफल था। आज का आधुनिक और सभ्य समाज पर्यावरण के...
More »हकीकत में नहीं, कागजों में बढ़ रहे हैं जंगल
जंगलों के मामले में पूरे देश में झारखंड का 10वां स्थान आता है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआइ) के आंकड़े भी बताते हैं कि राज्य में जंगल बढ़ रहा है. सेटलाइट सर्वे के माध्यम से किये गये सर्वेक्षण में इसे बढ़ा हुआ बताया जा रहा है, जबकि हकीकत कुछ और बयां करते हैं. वन विभाग के अधिकारियों का इस बारे में अलग-अलग मत है. कई अधिकारियों ने सर्वे के...
More »जीवन-मरण का वैश्विक प्रश्न--- निरंकार सिंह
जब ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा शुरू हुई थी, तब इस प्रकार के आकलन की वैज्ञानिकता पर काफी सवाल उठाए गए थे। लेकिन धीरे-धीरे वे सवाल खामोश होते गए। अब पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ने तथा इसके फलस्वरूप जलवायु संकट तीव्रतर होने की हकीकत पर मतभेद की गुंजाइश नहीं रह गई है। दुनिया भर के वैज्ञानिक अब यह अनुभव करने लगे हैं कि हम आधुनिक विकास के जिस रास्ते पर चल...
More »वो 5 बातें जिनकी वजह से मनाना पड़ रहा है पृथ्वी दिवस
22 अप्रैल को दुनिया के 192 देश 46वां विश्व पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। लेकिन मात्र एक दिन पृथ्वी दिवस के रूप में मना कर हम प्रकृति को बर्बाद होने से नहीं रोक सकते हैं। जीवन और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं। पर्यावरण के बगैर जीवन असम्भव है। कोई दो राय नहीं कि अगर पृथ्वी खतरे में रहेगी तो मनुष्य जाति भी खतरे में रहेगी। दुर्भाग्यवश पृथ्वी का अस्तित्व खतरे...
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