चार्ल्स डिकेंस के उपन्यास 'अ टेल ऑफ टू सिटीज" की मशहूर पंक्तियां हैं : 'वह सबसे बेहतरीन दौर था, लेकिन वह सबसे बदतर भी था।" दिल्ली सरकार के सम-विषम फॉर्मूले के परिप्रेक्ष्य में हम डिकेंस के इस संवाद को बदलकर यूं भी कर सकते हैं कि 'वह एक बेहतरीन विचार था, लेकिन वह बदतर भी था!" हां, यह जरूर है कि दिल्ली सरकार के इस निर्णय के बाद इस महानगर...
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आपदा राहत की उलझी कड़ियां-- शैलेन्द्र चौहान
भारत में लोगों को आपदा से बचाना या तत्काल राहत पहुंचाना किसकी जिम्मेदारी है? पिछले पांच दशक से सरकार भी इस यक्ष प्रश्न से जूझ रही है। दरअसल, आपदा प्रबंधन तंत्र की सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों को कुदरती कहर से बचाने की जिम्मेदारी कई महकमों पर है। जब लोग बाढ़ में डूब रहे होते हैं, भूकंप के मलबे में दब कर छटपटाते हैं या फिर ताकतवर तूफान...
More »साफ पर्यावरण किसकी जिम्मेदारी!--- पुष्परंजन
दिल्ली के जिस वसुंधरा इन्कलेव में मैं रहता हूं, वहां 56 हाउसिंग सोसाइटी हैं, और उसके पीछे एक गांव है, दल्लूपुरा. इस गांव में कबाड़ का कारोबार लंबे समय से फलता-फूलता रहा है.अक्सर कबाड़ी कूड़े में प्लास्टिक, रबर और रसायन जलाते हैं, जिससे आसपास के अपार्टमेंट में रहनेवालों का जीना दूभर हो जाता है. पुलिस में इसकी लगातार शिकायत गयी, तब यह कुछ समय के लिए रुका. यह इसलिए नहीं...
More »ज्यादातर बच्चों की ट्रैफिकिंग में शामिल होते हैं नजदीकी रिश्तेदार
नई दिल्ली। बाल मजदूरी निरोधक कानून के अंतर्गत वर्ष-2014 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मात्र 254 मामले ही दर्ज हुए हैं। इसमें से आधे की उम्र 14 साल से कम हैं। बचाए गए बच्चों में ज्यादातर के ट्रैफिकिंग में उनके परिवार के नजदीकी रिश्तेदार शामिल थे। इस तथ्य का खुलासा सामाजिक संस्था-बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से किए गए सर्वे से हुआ है। संस्था की ओर से इस सर्वे को सोमवार...
More »न तो खाना मिलता था और न ही आराम...
नई दिल्ली। काम और बेहतर भविष्य की तलाश में झारखंड से दिल्ली आई दो बहनों को पुलिस और एनजीओ की मदद से मुख्त कराया गया है। खूंटी (झारखंड) की रहने वाली दोनों बहनों को वसंतकुंज नॉर्थ इलाके में कैद करके रखा गया था। झारखंड की रहने वाली ये दोनों बहनें जुलाई से यहां काम कर रहीं थी। दोनों बहनें आदिवासी समुदाय और गरीब परिवार से हैं। गरीबी से तंग आकर दोनों...
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