आधार यानी विशेष पहचान के आधार को समझिए। लोगों को पहचान देने के नाम शुरू हुआ प्रयास महज 3 साल में ही लोगों के लिए विकास से बहिष्कार और योजनाओं से बेदखली का कारण बनने लगा। इसका मकसद सरकार के गरीबों पर किए जाने वाले खर्च को कम करना बन गया है और दूसरा मकसद है समुदाय को नकद धन देना ताकि वे बाज़ार को फायदे रोशन करें। जनवरी 2009...
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कैश ट्रांसफर पॉलिसी : अनाज नहीं, नकद खाएं - सचिन कुमार जैन
बड़ी हलचल है। प्रचार हो रहा है हम आधार से आपको पहचान देंगे और अब योजनाओं आपको परेशानी न होगी, क्योंकि अब आपको सेवाओं के बदले नकद राशि देंगे। आप पहचान के लिए विशेष पहचान क्रमांक लीजिए और हम आपको फायदा देंगे। रुकिए! यह भी जान लीजिए कि आधार पंजीयन का मतलब यह नहीं है कि आपको योजनाओं का लाभ मिल ही जाएगा। सच यह है कि अब आपने आपको...
More »परमार्थ में पूंजी- सुभाष गताडे
जनसत्ता 5 नवंबर, 2012:खबर है कि सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में भारतीय कंपनी अधिनियम में संशोधन का विधेयक पेश करेगी। कहा जा रहा है कि कॉरपोरेट क्षेत्र की सामाजिक जिम्मेदारी को प्रस्तुत अधिनियम में शामिल करने को लेकर लंबे समय से चल रही चर्चाओं, बहस-मुबाहिसे की परिणति संशोधित अधिनियम की धारा-135 में दिखाई देगी। यह प्रस्तावित किया जा रहा है कि हर वह कंपनी, जिसकी खालिस कीमत पांच सौ करोड़...
More »समानता के पहरुए- अरुण माहेश्वरी
जनसत्ता 2 नवंबर, 2012: नवउदारवाद के लगभग चौथाई सदी के अनुभवों के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक अर्थशास्त्र को बुद्ध के अभिनिष्क्रमण के ठीक पहले ‘दुख है’ के अभिज्ञान की तरह अब यह पता चला है कि दुनिया में ‘गैर-बराबरी है’, और इससे निपटे बिना मुक्ति, यानी आर्थिक-संकटों की लहरों में डूबने से बचने का रास्ता नहीं है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ पत्रिका के ताजा अंक (13-19 अक्तूबर) में विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में उन्नीस...
More »अब मुसीबत में पड़ सकते हैं स्कूल से गायब रहने वाले विद्यार्थी!
अजमेर.कक्षा एक से लेकर आठ तक की कक्षाओं में प्रवेश ले लो और स्कूल जाओ या ना जाओ पर उन्हें पास किया ही जाएगा। सरकार ने अभिभावकों व शिक्षकों का यह मुगालता दूर कर दिया है। लगातार 45 दिनों तक स्कूल से गैरहाजिर रहने वाले ऐसे छात्रों को स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। ड्रॉपआउट मानते हुए ऐसे विद्यार्थियों को आयु अनुरूप पुन: प्रवेश की कार्यवाही की जाकर उसे विशेष...
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