नई दिल्ली। गरीबों को महंगाई की मार से राहत दिलाने तथा कुपोषण से लड़ने के लिए सरकार दालों को भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के दायरे में ला सकती है। इस संबंध में सरकार का निर्णय देश में दालों का उत्पादन और उपलब्धता बढ़ने पर निर्भर करेगा। दाल उत्पादन को बढ़ावा देने के उपायों पर विचार कर रही मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्माण्यम की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में भी...
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कब बहुरेंगे हथकरघा के दिन-- मोनिका शर्मा
हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने वाली एक सार्थक पहल के तहत अब केरल में सरकारी स्कूलों के बच्चे हैंडलूम के स्कूल यूनिफार्म पहनेंगे। राज्य सरकार ने यह निर्णय हथकरघा उत्पादों की खपत बढ़ाने के लिए किया है। ध्यान देने वाली बात है कि इन दिनों हैंडलूम को लेकर फिर से चर्चा हो रही है। हाल ही में कपड़ामंत्री स्मृति ईरानी ने भी ट्विटर पर अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए...
More »नदी जल विवाद और राजनीति-- चंदन श्रीवास्तव
हिंसा तुरंत दिख जाती है, लेकिन हिंसा को पालने-पोसनेवाली संरचनाएं अक्सर अलक्षित रह जाती हैं. कावेरी नदी के पानी के बंटवारे के मसले पर फिलहाल कर्नाटक में यही हो रहा है. टीवी के पर्दे और अखबार के पन्ने पर कर्नाटक के किसानों का गुस्सा दिख रहा है. उनके उग्र प्रदर्शन के बीच बेंगलुरु-मैसूर हाइवे जाम है. बसें नहीं चल रहीं, दुकानें बंद हैं. हालात को बेकाबू होने से बचाने के...
More »किसानों के लिए कसना होगी कमर- मृणाल पांडे
मृणाल पांडे। किसान से लेकर सरकार और बाजार तक इस बार खुश हैं कि मानसून अच्छा है। किंतु किसानी का भविष्य एक ही अच्छे मानसून से आमूलचूल नहीं सुधर सकता। खेतिहरों के जीवन में लगातार विकास के लिए स्तरीय शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, अनाज का बेहतर विपणन-भंडारण, मुनाफे के सही निवेश से जुड़ी कई तरह की मदद भी जरूरी होती है। किसानी को लाभ का सौदा बनाने की जिम्मेदारी आखिरकार राज्य...
More »असमानता की जड़ें-- सतीश सिंह
सरकार चाहती है कि देश विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर हो, लेकिन वह बैंकों की सेहत सुधारने की दिशा में ठोस पहल नहीं कर रही है। मजबूत अर्थव्यवस्था की रीढ़ बैंकिंग क्षेत्र को माना गया है। अर्थव्यवस्था को बैंकों की मदद से ही संतुलित रखा जा सकता है। बैंकों की सकारात्मक भूमिका के बिना वित्तमंत्री देश के विकास के सपने को साकार नहीं कर सकते हैं। संपत्ति शोध कंपनी ‘न्यू...
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