प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गर्वनिंग काउंसिल की बैठक बुधवार को हुई। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि बहुत सी राज्य सरकारें इस बात से सहमत नही हैं कि पिछली सरकार के शासनकाल में लाया गया भूमि अधिग्रहण विधेयक को लागू किया जाए। इस बैठक में यह बात निकल कर सामने आई कि कई राज्यों का समान मत है कि भूमि...
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...कुछ ज्यादा ही पीछे छोड़ दिया जंगल को हमने-- मुकेश केजरीवाल
मुकेश केजरीवाल, नई दिल्ली। जंगलों को काट कर शुरू किए "तरक्की" के सफर में हम इतना आगे बढ़ गए हैं कि अब इनकी कामचलाऊ मौजूदगी कायम करने में भी सांसें फूल रही हैं। अपने ही लक्ष्य के मुताबिक हमें अब तक देशभर में कम से कम 33 फीसद क्षेत्र को हरियाली से भर देना था, लेकिन हम सिर्फ 24 फीसद वन क्षेत्र के साथ इस मुकाम से बेहद दूर खड़े...
More »कहां है सुधारों की अगली खेप-- रामचंद्र गुहा
सन 2009 के आम चुनाव के ठीक बाद मैंने बेंगलुरु में एक भाषण सुना, जो नई सरकार के लिए नीतियों के नए रोडमैप पर था। वक्ता थे राकेश मोहन, जो उद्योग व वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ पदों पर रह चुके थे और उस वक्त रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। राकेश मोहन का कहना था कि आर्थिक सुधारों की पहली लहर ने व्यापार को सरकारी नियंत्रण से बाहर निकाला और...
More »भारतीय अर्थव्यवस्था में 8 से 10 फीसद वृद्धि हासिल करने की क्षमता : अरविंद पनगढिया
सिंगापुर : नीति आयोग के उपाध्यक्ष प्रोफेसर अरविंद पनगढिया ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में दीर्घावधि में 8 से 10 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने की क्षमता है. उन्होंने आज कहा, 'दीर्घावधि में वृद्धि दर अगले 15 साल तक 8 से 10 प्रतिशत पर टिकेगी. भारत के पास इसकी अच्छी संभावनाएं व सरकार की वृद्धि आधारित नीतियों का पूरा समर्थन है.' नरेंद्र मोदी सरकार की व्यापक आर्थिक नीतियों व...
More »सामाजिक, आर्थिक व जातीय जनगणना : समावेशी जुबान, मंशा अनजान!
आजादी के बाद भारत में गरीबी रेखा तय करने की दिशा में उठाये गये विभिन्न कदमों की सूची में पिछले कुछ वर्षो के दौरान संचालित सामाजिक, आर्थिक व जाति सर्वेक्षण का महत्वपूर्ण स्थान है. इसमें पहली बार किसी परिवार की सामाजिक पहचान को तरजीह दी गयी है. देश में लंबे अरसे से ऐसी मान्यता रही है कि गरीबी की मार कुछ सामाजिक श्रेणियों को ज्यादा ङोलनी पड़ती है, जिनमें से...
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