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धरती कहे पुकार के

ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...

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नासूर बना नक्सलवाद

नई दिल्ली [इरा झा]। बस्तर के दंतेवाड़ा में नक्सलियों के हाथों सीआरपीएफ के लगभग 80 जवानों को बेरहमी से मौत के घाट उतारे जाने के कारण अब सरकार और नक्सली दोनों ही खेमों के बीच लड़ाई के पाले साफ-साफ खिंच गए हैं। इसे नक्सलियों का रणनीतिक प्रतिवाद माना जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने इस जघन्य हमले के द्वारा अपने बीच फूट पड़ने, बड़े नेताओं की गिरफ्तारी से काडर में घबराहट और दिशाहीनता तथा...

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खूबसूरत दिल्ली की बदरंग हकीकत

नई दिल्ली [श्रीपाल जैन]। अक्टूबर 2010 में कामनवेल्थ गेम्स के आयोजन की कामयाबी के लिए दिल्ली और केंद्र सरकार सिंगापुर और पेरिस की तर्ज पर दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर बनाने में जुटी हुई हैं। जगह-जगह फ्लाई ओवर, सब-वे, फुट ब्रिज, जल निकासी लाइन, पार्किग स्थल, मेट्रो लाइन, सड़कों को चौड़ा एवं बेहतर बनाने के कार्य युद्धस्तर पर चल रहे हैं। इससे दिल्ली के आम बाशिंदों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं...

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एक पहल जल-जंगल के लिए

शिमला [ब्रह्मानंद देवरानी]। देर आयद, दुरुस्त आयद यह कहावत कोटखाई क्षेत्र के उन लोगों पर चरितार्थ होती है जिन्होंने वनों के अवैध कटान और जल संरक्षण के लिए बीड़ा उठाया है। संभव है कि छोटी सी ही सही, लेकिन इन लोगों ने वनों की अहमियत को समझकर जो पहल की है, निस्संदेह यह कदम जलवायु परिवर्तन के लिए उपयोगी होगी। वनों का अवैध कटान कर उस भूमि पर बागीचा लगाने के लिए बदनाम ऊपरी शिमला...

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