अरविंद पनगढ़िया को उपाध्यक्ष मनोनीत किए जाने के साथ ही नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिग इंडिया) को लेकर जारी कई अटकलों को विराम मिल गया है, लेकिन इस आयोग को लेकर कई उत्सुकताएं अब भी लोगों के दिमाग में बनी हुई हैं। दरअसल, केंद्र में आई नई सरकार ने 24 अगस्त को 20 विशेषज्ञों को बुलाकर उनसे यह सवाल पूछा था कि मौजूदा योजना आयोग...
More »SEARCH RESULT
बीमा विदेशीकरण की बेचैनी क्यों- अरविन्द मोहन
संसद का सत्र खत्म होते ही कई मामलों में अध्यादेश लाना केंद्र सरकार की बेचैनी को तो बताता ही है, हम सबसे इस बात की मांग भी करता है कि हम जानें कि हमारी सरकार किन सवालों पर इतना बेचैन होकर काम कर रही है। हमने देखा है कि देश भर में धर्म के नाम पर संघ परिवार से जुड़े लोगों और संगठनों ने जिस तरह से हंगामा मचाना शुरूकिया...
More »दवा के दाम
जीवनरक्षक दवाओं की कीमतें बढ़ने को लेकर स्वाभाविक ही विपक्षी दलों ने संसद में सरकार को घेरने की कोशिश की है। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने, सभी तक इनकी पहुंच सुनिश्चित कराने और सस्ती दर पर जीवनरक्षक दवाएं उपलब्ध कराने की मांग लंबे समय से उठती रही है। सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के मकसद से सौ से ऊपर दवाओं को जीवनरक्षक की श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है। कई राज्य...
More »छत्तीसगढ़ : अकाल मौतों के साए में धन का अकाल
आवेश तिवारी, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में नसबंदी के दौरान होने वाली मौतों के पीछे वजह जो भी हो ,लेकिन यह सच है कि राज्य में नसबंदी का कार्यक्रम भारी धनाभाव में चलाया जा रहा है । नईदुनिया ने अपनी पड़ताल में पाया कि 2013-14के दौरान छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से 720 कैम्पों के लिए प्रति कैम्प 15 हजार रूपए की दर से 1 करोड़ 8 लाख रूपए की...
More »डाक्टर साहब! यह हड़बड़ी जानलेवा है..
एक सर्जन, एक सहयोगी डाक्टर और छह घंटे में 83 महिलाओं की नसबंदी! मतलब पौने पाँच(4.33 मि.) मिनट से भी कम समय में एक महिला की नसबंदी की गई! नतीजा , ग्यारह महिलाओं की संक्रमण से मौत! यह मात्र डाक्टरों की लापरवाही की वजह से हुआ जैसा कि छत्तीसगढ़ की सरकार कहती है(देखें समाचार) या इस लापरवाही का रिश्ता ग्रामीण स्वास्थ्य-ढांचे में व्याप्त अभाव से है ? सरकारी स्वास्थ्य ढांचे से संबंधित आधिकारिक आंकड़े...
More »