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जलवायु संकट: कई भारतीय शहरों के लिए गंभीर खतरा बना समुद्र का बढ़ता जलस्तर

डाउन टू अर्थ , 13 मार्च जलवायु में आते बदलावों के चलते जिस तरह समुद्र के जलस्तर में वृद्धि हो रही है वो भारत के कई बड़े शहरों के लिए खतरा पैदा कर सकती है। ऐसे में इस आपदा से बचने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। इस बारे में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि समुद्र के बढ़ते जलस्तर के चलते सदी के अंत तक चेन्नई...

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जलवायु परिवर्तन से जंग की आड़ में वैश्विक व्यापार में असमानता को बढ़ा रहे विकसित देश: सीएसई

डाउन टू अर्थ, 2 मार्च जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई की आड़ में अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसी दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्तियां मुक्त व्यापार का दामन छोड़ रही हैं। बड़े पैमाने पर सब्सिडी और टैरिफ के साथ यह देश संरक्षणवाद की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन क्या जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जारी जंग और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को इससे फायदा होगा। इस बारे में नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर...

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केंद्रीय बजट में ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने पर जोर लेकिन चुनौतियों से निपटना जरूरी

मोंगाबे हिंदी, 2 मार्च एक फरवरी , 2023 को केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन शुरू करने की बहुप्रतीक्षित घोषणा की। मिशन के तहत, सरकार की 2030 तक 5 मिलियन मेट्रिक टन (एमएमटी) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की योजना है। ‘ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ बजट में की गई उन घोषणाओं में से एक है जो देश को कार्बन मुक्त करने के रास्ते पर ले जाने...

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ये चार शहर दिखाते हैं कि कम उत्सर्जन के साथ विकास कैसे किया जा सकता है

द थर्ड पोल, 28 फरवरी शहर ग्रीन हाउस उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं। दरअसल, विश्व स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों के कुल उत्सर्जन में तकरीबन 60 फीसदी हिस्सेदारी शहरों की है। और जैसा कि हमें पता ही है कि हमारा वातावरण, इन्हीं ग्रीन हाउस गैसों के कारण गर्म हो रहा है। मौजूदा समय में, शहरी क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति बेहद संवेदनशील हो चुके हैं। एशिया में यह स्थिति...

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बेमौसमी बढ़ती गर्मी से फसलों को बचा सकता है बायोचार, वैज्ञानिकों ने बताया तरीका

डाउन टू अर्थ, 24 फरवरी  वैज्ञानिकों का मानना है कि ‘बायोचार’ सदियों से लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली एक पारंपरिक कृषि पद्धति रही है। कृषि और पेड़ों का कचरा जैसे कार्बनिक पदार्थों को जलाने से बना चारकोल जैसे पदार्थ को बायोचार कहते हैं। वैज्ञानिकों ने जलवायु-स्मार्ट कृषि (सीएसए) अभ्यास के रूप में इसकी क्षमता का विश्लेषण करने के लिए बायोचार पर दुनिया भर के लगभग 600 अध्ययनों में व्याप्त आंकड़ों को...

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