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पचास रुपए दिन की मजदूरी करने वाला झारखंड का ये किसान अब साल में कमाता है 50 लाख रुपए

रांची(झारखंड)। किसान गंसू महतो एक समय 50 रुपए दिहाड़ी की मजदूरी के लिए घर से 25 किलोमीटर दूर जाते थे, लेकिन अपनी सूझबूझ से इन्होंने अपनी 9 एकड़ जमीन को बंजर से उपजाऊ बनाया और अब सालाना 50 लाख रुपए की आमदनी ले रहे हैं।किसान गंसू महतो (40 वर्ष) ने बताया, "पिछले साल एक एकड़ खेत में जलबेरा के फूल 35 लाख रुपए के बेचे और 8 एकड़ खेत की...

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बदल दिया खेती का पैटर्न, हर माह 30 हजार कमा रही ये महिला

कोतबा, जशपुर (छत्तीसगढ़)। सौर सुजला योजना की प्रेरणा से रोकबहार की दुतिका मरावी ने मिश्रित खेती में कुछ अलग कर दिखाया है। रासायनिक उर्वरकों की जगह देशी गोबर खाद का उपयोग करते हुए जहां गुणवत्तापूर्ण सब्जी उत्पादन को लेकर दुतिका मरावी चर्चित हुई। वहीं तीन फसल कर हर माह वह 30 हजार की आमदनी करते हुए कई लोगों को रोजगार भी दे रही है। जनपद पंचायत पत्थलगांव के ग्राम पंचायत रोकबहार...

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कचरे के निपटारे की चुनौती-- मोनिका शर्मा

एक हालिया अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2047 तक भारत में कूड़े का ‘उत्पादन' पांच गुना बढ़ जाएगा। इसका अर्थ है कि हमारा देश दुनिया भर में कूड़े का सबसे बड़ा उत्पादक बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। यह बहुत चिंताजनक है, एक ऐसे देश में, जहां कूड़ा प्रबंधन पहले से ही बहुत बड़ी समस्या है। इतना ही नहीं, हमारे यहां पारंपरिक तरल और ठोस कूड़े के अलावा...

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बांध, पर्यावरण और जनजीवन-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर

महानंदा नदी को क्या कोसी नदी की तरह ही बिहार या सीमांचल का अभिशाप कहा जा सकता है? यह सवाल उठा रहे हैं कटिहार जिला के कदवा प्रखंड में जमा हुए हजारों लोग. देश में राजनीति के बदले माहौल में भी यदि यह संभव हो सका कि आस-पास के कई विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान और भूतपूर्व विधायक अपनी पार्टियों की पहचान से ऊपर उठकर एक मंच पर आ सकें और...

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नये साल में विकास की चुनौतियां-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर

बिहार और झारखंड जैसे राज्यों के सामने आनेवाले साल में क्या चुनौतियां हैं? विडंबना यह है कि प्राकृतिक संपदा और उपजाऊ जमीन के बावजूद ये राज्य भारत के सबसे गरीब राज्यों में आते हैं. कमाल की बात यह है कि यहां के मानव संसाधन का लोहा दुनिया मानती है. कई विद्वानों के लिए यह एक पहेली है. मुझे याद है कि लंदन स्कूल ऑफ इकोनाॅमिक्स के प्रो जॉन हैरिस ने...

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