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महानदी: 86 सालों बाद भी क्यों नहीं सुलझ पा रहा छत्तीसगढ़, ओडिशा जल विवाद

मोंगाबे हिंदी, 21 अगस्त  बारिश के इस मौसम में छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाइगढ़ ज़िले के कलमा बैराज के दोनों तरफ़ पानी नज़र आ रहा है। लेकिन दो-तीन महीने पहले तक तस्वीर ऐसी नहीं थी। छत्तीसगढ़ के जल संसाधन विभाग ने कलमा बैराज के अपने सारे गेट बंद कर रखे थे, जिसके कारण छत्तीसगढ़ के हिस्से वाली नदी में तो दूर-दूर तक अथाह पानी नज़र आ रहा था लेकिन ओडिशा की तरफ़ नदी,...

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बांग्लादेश में बढ़ता जलवायु विस्थापन, भारत के लिए चेतावनी

कार्बनकॉपी, 24 जुलाई बांग्लादेश में जलवायु शरणार्थियों की संख्या बढ़ रही है। अभी वहां 71 लाख शरणार्थी हैं जिनकी संख्या 2050 तक 1.33 करोड़ हो सकती है। बांग्लादेश में विस्थापितों को बसाने के लिये पर्याप्त उपयुक्त जमीन नहीं है। कृषि और रोजगार चौपट होने से यह शरणार्थी भारत का रुख कर रहे हैं। भारत में नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश से शरणार्थियों का दबाव बढ़ेगा। कौशल विकास के जरिए विस्थापितों को अन्य देशों में रोजगार...

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अपशिष्ट जल का दोबारा उपयोग: भारत में जल संकट से निपटने का एक स्थायी रास्ता

द थर्ड पोल, 20 जुलाई यमुना नदी के पुनरुद्धार को लेकर, एक उच्च-स्तरीय समिति की, 21 अप्रैल को हुई बैठक के दौरान, दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने राजधानी के अपशिष्ट जल या सीवेज के ट्रीटमेंट यानी शोधन में तेजी लाने की अपील की थी। बतौर उपराज्यपाल, जिससे वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के संवैधानिक प्रमुख हैं, सक्सेना ने बताया कि किस तरह से राजधानी में, इस समय हर दिन 290.7 करोड़...

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दिल्ली की बाढ़ एक मानव जनित त्रासदी

डाउन टू अर्थ, 18 जुलाई यह जान लेना आवश्यक है कि नदी पानी के लिए एक पाइप लाइन नहीं है। ना ही रेत बोल्डर जैसे निर्माण सामग्री उपलब्ध कराने की जगह है। और ना ही बोतलबंद पानी का स्रोत मात्र है। नदी एक जीवित प्रणाली है एवं इसके साथ उचित व्यवहार एवं आदर की आवश्यकता है। नदी के अलग-अलग व्यवहारिक क्षेत्र होते हैं- नदी चैनल- जो निरंतर बहाव में रहता है। तटवर्ती...

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हिमाचल प्रदेश में विनाश के लिए कितनी जिम्मेवार हैं विकास परियोजनाएं?

डाउन टू अर्थ, 13 जुलाई विकास के नाम पर पर्यावरण और पारिथितिकी के साथ किए जा रहे खिलवाड़ का नतीजा पिछले तीन दिनों में हिमाचल में देखने को मिला है। पिछले तीन दिनों में हिमाचल में 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपति को नुकसान पहुंचा है। यदि मॉनसून सीजन की बात करें तो 16 दिनों में हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं में 72 से अधिक जानें चली गई हैं। लेकिन...

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