-दयानिधी, दुनिया भर की नदियों में दवा या फार्मास्युटिकल प्रदूषण पर किए गए एक अध्ययन ने दिल्ली और हैदराबाद सहित दुनिया भर में नदी के पानी के नमूनों का मूल्यांकन किया है। नदी के नमूनों में मधुमेह, मिर्गी और दर्द निवारक दवाओं के अंश मिले हैं। जो हमारी पारिस्थितिकी और लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। यह नदियों में फार्मास्यूटिकल के अवशेषों का पता लगाने तथा उन्हें मापने वाला पहला अध्ययन...
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ओमिक्रॉन: 'पहली बार एक नए गेंदबाज का सामना करने जैसा है'
-इंडियास्पेंड, दक्षिण अफ्रीका में सार्स-कोविड-2 का एक नया वेरिएंट भारत समेत दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों में फैल चुका है। नाम है इसका ओमीक्रॉन। ओमीक्रॉन न सिर्फ पब्लिक हेल्थ सेक्टर में, बल्कि दुनियाभर के फाइनेंशियल सेक्टर में भी सुर्खियों में है। दुनियाभर की सरकारों में भी इस बात को लेकर चिंता पैदा हो रही है कि आने वाले वक्त में यह किस तरह से अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा। ऐसे...
More »महामारी की शुरुआत के बाद, पहली बार भारत की कोविड आर वैल्यू 0.68 पर पहुंची. दिसंबर के बाद 1 से नीचे
-द प्रिंट, भारत में कोविड महामारी की तीसरी लहर धीमी पड़ने लगी है. बुधवार को जारी देश का इफेक्टिव रिप्रोडक्शन नंबर इसकी पुष्टि करते हैं. आर वैल्यू इस हफ्ते गिरकर 0.68 पर पहुंच गया है. इस नंबर से पता चलता है कि संक्रमण कितनी तेज़ी से फैल रहा है. यह महामारी फैलने के बाद से सबसे कम है. दिसंबर महीने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब देश का आर वैल्यू...
More »लोकपाल के समक्ष दर्ज शिकायतों में तेज गिरावट, या तो इसे प्रभावी बनाएं या भंग करें- पूर्व सीआईसी
- द वायर, लोकपाल को अब तक 1,600 से भी कम शिकायतें मिली हैं जबकि 2019 में गठित इसके कार्यालय के निर्माण में ही लगभग 60 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. हालांकि कार्यकर्ताओं को अधिक चिंता इस बात की है कि लोकपाल के समक्ष प्रति वर्ष दर्ज की जा रही शिकायतों की संख्या तेजी से घटी है. यह 2019-2020 में 1,427 से घटकर 2020-2021 में 110 हो गई जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष...
More »गांव में अपराध: क्या सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से फर्क पड़ता है?
-गांव सवेरा, ग्रामीण भारत में गरीबी के उन्मूलन और आर्थिक विकास हेतु अच्छी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच होना महत्वपूर्ण है। यह लेख, भारत मानव विकास सर्वेक्षण (आईएचडीएस) के 2004-05 और 2011-12 के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए दर्शाता है कि पक्की सड़कों से जुड़े गांवों के परिवारों में अपराध, श्रम बल की भागीदारी और पारिवारिक आय के सन्दर्भ में उन गांवों में रहने वालों की तुलना में बेहतर परिणाम पाए गए...
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