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थोक मुद्रास्फीति शून्य से नीचे फिर भी खाद्य महंगाई संकट

नई दिल्ली। सरकार भले ही थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति को काबू कर शून्य से नीचे रखने में कामयाब रही हो लेकिन खाद्य वस्तुओं की बढ़ती महंगाई दर बड़ी चुनौती बनी हुई है। खाद्य महंगाई दर लगातार बढ़ते हुए दिसंबर में 8.17 प्रतिशत पर पहुंच गई है। खास बात यह है कि केंद्र की तमाम कोशिशों के बावजूद दलहन की महंगाई दर थमने का नाम नहीं ले रही है। वहीं...

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पर्यावरण बचाने महिलाओं की पहल, छत पर जैविक खेती की तैयारी

संदीप तिवारी, रायपुर(छत्‍तीसगढ़)। परिवार को केमिकलमुुक्त साग-सब्जियां और फल खाने के लिए मिलें, पर्यावरण में सुधार हो, शुद्ध , ताजी, पौष्टिक और मौसमी सब्जियां घर में ही उपलब्ध होने से बीमारियां दूर हों और शुद्ध एवं ताजी हवा मिले। इस मकसद से राज्य की विभिन्न् महिला स्व सहायता समूह की दो लाख से अधिक महिलाओं ने घर की छत पर जैविक खेती करने के लिए बीड़ा उठाया है।   इसके लिए इंदिरा...

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बीतते हुए 2015 में टूटीं समृद्धि की उम्मीदें, अपेक्षा से कम आर्थिक विकास

इस बात की जरूरत है कि सरकार राजनीतिक इच्छाशक्ति से सब्सिडी में कटौती कर अधिक कुशल, बुद्धिमत्तापूर्ण तथा सतर्क कराधान के साथ-साथ उद्योग, बुनियादी ढांचे के विस्तार और आधुनिकीकरण के क्षेत्र में अधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकृष्ट कर पूंजीगत व्यय बढ़ाये़ अर्थव्यवस्था में कुछ मामूली बेहतरी के संकेतों को छोड़ दें, तो 2015 के आर्थिक रुझान बहुत उत्साहवर्द्धक नहीं रहे हैं. वर्ष के आखिरी महीने में संसद में पेश अर्द्धवार्षिक आर्थिक...

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पर्यावरण के नजरिए से आहार- रमेश कुमार दुबे

अगर गोमांस (बीफ) के बढ़ते इस्तेमाल को पर्यावरण की दृष्टि से देखा जाए तो इतना विवाद न हो। गहराई से देखा जाए तो आज जलवायु परितर्वन, वैश्विक तापवृद्धि, भुखमरी, नई-नई बीमारियां प्रत्यक्ष रूप से मांसाहार के बढ़ते चलन से जुड़ी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनइपी) के मुताबिक एक मांस-बर्गर तैयार करने में तीन किलोग्राम कार्बन उत्सर्जित होता है। ऐसे में धरती की रक्षा के लिए मांस की बढ़ती...

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उद्यानिकी ने बदल दी छत्‍तीसगढ़ के किसान की तकदीर

प्रकाश वर्मा, राजनांदगांव। एक समय था जब धान की फसल उगाकर किसान अपने परिवार की आवश्यक्‍ताएं ही पूरी नहीं कर पाता था, लेकिन आज वहीं किसान अपने साथ मजदूरों के परिवार की जरूरतों को भी पूरा कर रहा है। ऐसी ही कुछ कहानी है छत्‍तीसगढ़ के राजनांदगांव में ग्राम नाथूनवागांव के किसान संतोष देवांगन की, जिनकी तकदीर और तस्वीर दोनों उद्यानिकी विभाग से जुड़ने के बाद पूरी तरह से बदल गई। वर्तमान...

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