-आउटलुक, “सरकारी बैंकों में निजी निवेश के लिए उसका एनपीए कम होना जरूरी है और बैड बैंक इसमें मददगार होगा, इसलिए बैंक निजीकरण और बैड बैंक का गठन, दोनों फैसलों को एक-दूसरे से जोड़कर देखा जाना चाहिए” एस.के. सिंह इन दिनों एक बैंक की बहुत चर्चा है- बैड बैंक। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को बजट में इसका जिक्र किया, जिस पर बाद में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास...
More »SEARCH RESULT
अच्छी हो या बुरी लेकिन बिटक्वाइन, ब्लॉकचेन और डिजिटाइजेशन के साथ एक अलग तरह की दुनिया उभर रही है
-द प्रिंट, कल्पना कीजिए कि खनन (पता नहीं किस चीज के) और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (इसे भी समझना होगा) से जुड़ी आपकी मुद्रा ‘क्रिप्टो’ यानी गुप्त हो गई. अगर यह सब आपको नहीं समझ में आ रहा है या आप यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि टेस्ला अरबों बिटक्वाइन क्यों खरीद रही है या यह नहीं समझ पा रहे हैं कि चीन यह क्यों सोच रहा है कि उसका ई-यूवान...
More »पंचतत्व: देवास ने मिट्टी से जल संकट का समाधान निकाल कर कैसे बुझायी अपनी प्यास
-जनपथ, मध्य प्रदेश में एक इलाका है मालवा. बेहद संपन्न, बेहद उपजाऊ, पर मालवा का देवास जिला इसकी संपन्नता का ठीक उलट था. वजह- गहरा जल संकट. इस इलाके में जलसंकट सन 2000 वाले दशक में इतना विकट था कि शहर में जलापूर्ति ट्रेनों के जरिये की जाने लगी थी. खेती चौपट हो गई और किसानों को साल भर में महज एक ही फसल मिल रही थी. पानी के संकट ने...
More »आर्थिक उद्देश्य संविधान के विजन से अलग नहीं हो सकते : तलोजा जेल से आनंद तेलतुंबड़े
-कारवां, सार्वजनिक सेक्टर के उद्यमों का निजीकरण करने की मोदी सरकार की योजना पर जारी बहस से कुछ हद तक पुरानी बहसों की याद आती है. सरकार के समर्थन में निजीकरण की पैरवी करने वाले लोग दलील दे रहे हैं कि निजीकरण हमेशा ही सार्वजनिक सेक्टर के लिए कारगर रहा है. वे नहीं जानते लेकिन इस दलील का तार्किक विस्तार करें तो यह बेतुका लेकिन जायज सवाल भी किया जा सकता है...
More »आवरण कथाः कहीं डूब न जाए पूरा वित्तीय तंत्र
-इंडिया टूडे, लगातार देश का बैंकिंग क्षेत्र अमूमन बुरी खबरों से ही सुर्खियों में उछला रहता है. वजहें: डूबत कर्ज (जिसे बैंकों की शब्दावली में गैर-निष्पादित संपत्तियां या एनपीए कहा जाता है) के बढ़ते अंबार से लेकर निपट धोखाधड़ी, क्रोनी कैपिटलिज्म और न जाने क्या-क्या. यह बीमारी तेजी से फैलती जा रही है, जिसमें छोटे-बड़े और कुछ नामधारी बैंक भी हैं. तो, यह सड़न सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तक सीमित...
More »